जब भी दीप जलाना साथी
जब भी दीप जलाना साथी,
उर के तमस मिटाना साथी।1।
भेद-भाव सब भूल प्यार से,
सबको गले लगाना साथी।2।
दो दिन का यह मेला जीवन,
हॅसना साथ हॅसाना साथी।3।
महल-दुमहले और झोपड़ी,
सबको खूब सजाना साथी।4।
घर-आंगन खलिहान हमारे,
दीप-ज्योति बिखराना साथी।5।
वीर-शहीदों की सुधियों में,
मन्दिर दीप सजाना साथी।6।
धर्म सनातन को पहचानो,
संस्कार अपनाना साथी।7।
कहीं भटक ना जाए कोई,
सबको राह दिखाना साथी।8।
हृदय सुकोमल स्नेह भरा हो,
सबमें प्यार लुटाना साथी।9।
विश्व-गुरू हो देश हमारा,
तुम भी हाथ बॅटाना साथी।10।
रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित है।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश;
रायबरेली (उप्र) 229010
Tag: दीपावली पर कविता
जब भी दीप जलाना साथी/ हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश
दीपावली मुबारक /शिवराज सिंह चौहान
दीपावली मुबारक
सबको बारम्बार मुबारक।
दीपावली त्यौहार मुबारक।।
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मेरे राम पधारे जब अयोध्या,
उस दिन की यादगार मुबारक।
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तिमिर भगाए जो जीवन का,
खुशियों का उजियार मुबारक।
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इक दूजे को जो करते रोशन,
दीपों की वो कतार मुबारक।
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बम्ब, पटाखे, फूल-झड़ी संग,
चकरी, राकेट, अनार मुबारक।
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कर महा लक्ष्मी पूजन, वंदन,
धन, दौलत अम्बार मुबारक।
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‘शिव’ की मंगल कामना वाला
प्यार भरा उपहार मुबारक।
दीपावली की शुभ कामनाओं के साथ….🙏
शिवराज सिंह चौहान
नान्धा, रेवाड़ी (हरियाणा)शुभ दीपावली / डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली आई है,
मिलकर दीप जलाएँ।
सजे द्वार हरदम चमके,
घर आँगन महकाएँ।।
अंतर्मन भरे रोशनी,
छल, द्वेष, अहम मिट जाए।
आत्मसात कर सद्गुणों का,
तन-मन शुद्ध बनाएँ।।
रघुवर जैसे चरित बने,
हम शीलवान बन जाएँ।
सदा निश्चल भाव भरे मन,
श्री राम की महिमा गाएँ।।
प्रीत बंध मर्यादा से,
जीवन को चलो सजाएँ।
दीपों का उत्सव मनभावन,
खुशियाँ बाँटें, पाएँ।।
साफ करें हम दुर्गुणों को,
तभी जीवन में उजाला है।
क्षण भंगुर इस दुनिया में,
जिधर देखो सब काला है।।
करें संकल्प इस पर्व पर,
घर संग चरित महकाना है।
उज्जवल रंगोली जीवन रंगे,
खुशियों का दीप जलाना है।।
पूजन कर माँ लक्ष्मी,
कृपा सुखद पा जाएँ।
रिद्धि-सिद्धि धन संपदा,
सबके घर में आएँ।।
*~ डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’*
*रायपुर (छ.ग.)*दीपक पर कविता
नव्य आशा के दीप जले – मधु सिंघी
नव्य आशा के दीप जले,
उत्साह रूपी सुमन खिले।
कौतुहल नवनीत जगाकर,
नया साल लो फिर आया।मन के भेद मिटा करके,
नयी उम्मीद जगा करके।
संग नवीन पैगाम लेकर ,
नया साल लो फिर आया।सबसे प्रीत जगा करके,
सबको मीत बना करके।
संग में सद्भावनाएँ लेकर ,
नया साल लो फिर आया।मुट्ठी में भर सातों आसमान,
रखके मन में पूरे अरमान।
संग इंन्द्रधनुषी रंग लेकर,
नया साल लो फिर आया।मधु सिंघी
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