नया साल का स्वागत – विजय कन्नौज

नया साल का स्वागत – विजय कन्नौज आही आही कुछ देके जाहीनया साल कुछ ले के आही।।जय गंगान नवा पुराना मा काहे भेद।अपन करनी अपन मा देखऊपर निंधा तरी छेद,जय गंगान जइसन करनी तइसन भेद।कहे कवि विजय के लेखकुछ करनी कुछ हे भेषजय गंगानसुख सुख ल भोगहू मितानदुख मां झन देहू ध्याननिज करनी अपन देखजय … Read more