नया साल का स्वागत – विजय कन्नौज
आही आही कुछ देके जाही
नया साल कुछ ले के आही।।
जय गंगान
नवा पुराना मा काहे भेद।
अपन करनी अपन मा देख
ऊपर निंधा तरी छेद,
जय गंगान
जइसन करनी तइसन भेद।
कहे कवि विजय के लेख
कुछ करनी कुछ हे भेष
जय गंगान
सुख सुख ल भोगहू मितान
दुख मां झन देहू ध्यान
निज करनी अपन देख
जय गंगान
जउन जयइसन करनी करही
ओ वइसन जगा मा परही
नवा बच्छर के नवा अंजोर
जिनगी के नइये,ओर छोर
जय गंगान
जुन्ना बच्छर के कर विदाई
आपस में झन लड़व भाई
मनखे मनखे एक समान
जय गंगान
जुन जैसन करही,फल उंहे ले पाही
आही आही कुछ कुछ लेके आही।
नया बच्छर हा कुछ लेके आही
जय गंगान