Tag: 1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस

  • मोर छत्तीसगढ़ महतारी

    मोर छत्तीसगढ़ महतारी

    मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
    तोर अलग हे चिनहारी!
    देवता धामी ऋषि मुनि मन,
    तप करीन इहाँ भारी!!

    आनी बानी के रतन भरे हे ,
    इहाँ के पावन माटी म !
    मया पिरती बढ़त रहिथे ,
    गिल्ली डंडा अऊ बांटी म !!
    नांगमुरी करधनिया संग म ,
    दाई गोड़ म पहिरे सांटी …..

    भिलाई कोरबा बैलाडीला म,
    बड़़े – बड़े कारखाना हे !
    कटकट – कटकट डोंगरी दिखे,
    महानदी गावए गाना हे !!
    मैना कोयली के गूरतूर बोली ,
    मंजूर ठूमके इहाँ भारी……

    बिकट बिटामिन भरे हावे,
    रतिहा के बोरे बासी म !
    सोना बरोबर धान दिखत हे ,
    धनहा खेत मटासी म !!
    महर- महर ममहावत हावे
    चंदन पबरीत माटी……

    भोरमदेव माँ बमलाई,
    शिवरीनरायन धाम हे !
    राजिमलोचन दंतेश्वरी,
    गिरोधपुरी पावन धाम हे !!
    दूजराम तोर गुन ल गावए …
    किरपा कर महतारी

    दूजराम साहू  “अनन्य “
    निवास- भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला -राजनांदगाँव (छ ग)

  • महिमा मोर छत्तीसगढ़ के..गीत पद्मा साहू पर्वणी

    महिमा मोर छत्तीसगढ़ के

    छत्तीसगढ़ महतारी मोर, तोर महिमा हे बड़ भारी।
    गजब होवत हे नवा बिहान, छत्तीसगढ़ के संगवारी।

    ये भुइयाँ के नाम हे पहिली दक्षिण महाकोसल,
    अउ हे छत्तीस किला ले एकर छत्तीसगढ़ नाम।
    लव-कुश के जनम इही भुइयाँ मा संगी,
    कौशिल्या के मईके, अउ ननिहाल हरे प्रभु राम ।
    मध्यपरदेश के दुहिता, दाई मोर छत्तीसगढ़,
    हरियर लुगरा पहिने एकर अलग हाबे चिन्हारी ।
    छत्तीसगढ़ महतारी मोर, तोर महिमा हे बड़ भारी,,,,

    इहांँ के लोगन मन हाबे बड़ सिधवा,
    मया पिरित हिय म हाबे बड़ भारी ।
    हमर छत्तीसगढ़ी गुरतुर बोली भाखा,
    सबला रबले अपन बना लेथे संगवारी ।
    छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहिथे भईया ,
    इहांँ जांगर वाला मेहनत करइया हे भारी ।
    छत्तीसगढ़ महतारी मोर, तोर महिमा हे बड़ भारी,,,,

    वीर नारायण, गुंडाधुर छत्तीसगढ़ के मान हरे,
    हे पावन भुइयाँ तीरथ दामाखेड़ा, गिरोधपुरी।
    भोरमदेव खजुराहो, चित्रकूट, सिरपुर, कुटुंबसर,
    साल ,गेंदा, मैना, वन भईसा, कटहल हे चिनहारी।
    बमलई दाई, महामाया, समलाई के मनौती,
    लगथे मेला मोहंदी, रतनपुर, राजिम,खल्लारी।
    छत्तीसगढ़ महतारी मोर, तोर महिमा हे बड़ भारी,,,,

    पद्मा साहू पर्वणी
    खैरागढ़ राजनांदगांव

  • छतीसगढ़ दाई

    छतीसगढ़ दाई

    गमकत  हे  संगाती
        चंदन समान माटी
           नदिया पहाड़ घाटी
                       छतीसगढ़ दाई।
    लहर- लहर खेती
        हरियर हीरा मोती
            जिहाँ बाजे रांपा-गैंती
                      गावै गीत भौजाई।
    भोजली सुआ के गीत
            पांयरी चूरी संगीत
                   सरस हे मनमीत
                        सबो ल हे सुहाई।
    नांगमोरी,कंठा, ढार
           करधन, कलदार
               पैंरी,बहुँटा श्रृंगार
                      पहिरे   बूढ़ीदाई ।
    हरेली हे, तीजा ,पोरा
           ठेठरी खुरमी बरा
                 नांगपुरी रे लुगरा
                         पहिरें दाई-माई।
    नांगर के होवै बेरा
          खाये अंगाकर मुर्रा
             खेते माँ डारि के डेरा
                        अर तत कहाई।
    सुंदर सरल मन
       छतीसगढ़ के जन
           चरित्र जिहाँ के धन
                    जीवन सुखदाई।
    पावन रीति रिवाज
         अँचरा मां रहे लाज
             सबो ले सुंदर राज
                       छत्तीसगढ़ भाई।
    रचना:—सुश्री गीता उपाध्याय
  • मोर छत्तीसगढ़ के भुंईयां- पदमा साहू

    मोर छत्तीसगढ़ के भुंईयां

    मोर जनमभूमि के भुंईयां मा माथ नवावंव गा।
    मोर छत्तीसगढ़ के भुंईयां मा माथ नवावंव गा।।
    जनम लेंव इही माटी मा ,,,,,2
    इही मोर संसार आवय गा–
    मोर…………………

    इंहा किसम- किसम के बोलबाखा मय छत्तीसगढ़िया हावंव।
    छत्तीसगढ़ म मोर जनम भूमि,
    मय एला माथ नवावंव।
    पले- बढे हों इही माटी मा,,,,2
    एला कईसे मय भुलावंव गा —
    मोर………………………

    संगवारी मन के मया बंधे
    संग मा खेले- कुदे जावंव।
    मया पिरित के डोरी ला,
    कईसे मय बिसरावंव।
    दाई- ददा के कोरा इही भुंइयां मा,,,2
    एकर करजा कईसे चुकावंव गा –
    मोर……………….……………

    बाग- बगीचा अउ अमरईया,
    खेती -खार मय जावंव।
    दाई -बबा के संग नइ छोड़ेंव,
    पीछु – पीछु मय जावंव।
    पढ़े लिखेंव इही भुंइयां मा,,,2
    ग्यान के गठरी बांधेंव गा-
    मोर………………..……………

    श्रीमती पदमा साहू
    खैरागढ़, जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़।

  • छत्तीसगढ़ मैया पर कविता -श्रीमती शशिकला कठोलिया,

    छत्तीसगढ़ मैया पर कविता

    छत्तीसगढ़ी कविता
    छत्तीसगढ़ी कविता

    जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मैया,
    सुन लोग हो जाते स्तंभित,
    राष्ट्रगान सा स्वर है गुजँता,
    छत्तीसगढ़ का यह राज गीत,
    नरेंद्र देव वर्मा की अमर रचना,
    है उसकी आत्मा की संगीत,
    छत्तीसगढ़िया को बांधे रखता ,
    यह पावन सुंदर सा गीत ,
    धरती का शुभ भावों से सिंगार कर,
    छत्तीसगढ़ माटी का बढ़ाया गौरव,
    गीत में साकार हो उठता ,
    समूचे छत्तीसगढ़ का वैभव,
     स्वरलिपि में बांधने वाले ,
    धन्य है वह महान रचनाकार,
    छत्तीसगढ़ के आत्मा का संगीत,
    बन गया अरपा पैरी के धार ,
    बन गया अरपा पैरी के धार ।

     श्रीमती शशिकला कठोलिया, 
    शिक्षिका ,अमलीडीह ,डोंगरगांव
    जिला-राजनांदगांव (छ.ग.)
    मो न – 9340883488
              9424111042
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद