विश्व बाल दिवस पर कविता

जवाहरलाल नेहरू

विश्व बाल दिवस पर दोहा:- बाल दिवस पर विश्व में,हों जलसे भरपूर!बच्चों का अधिकार है,बचपन क्यों हो दूर!!१ कवि , ऐसा साहित्य रच,बचपन हो साकार!हर बालक को मिल सके,मूलभूत अधिकार!!२ बाल श्रमिक,भिक्षुक बने,बँधुआ सम मजदूर!उनके हक की बात हो,जो बालक मजबूर!! ३ बाबूलाल शर्मा अलबेला बचपन पर हास्य कविता मेरा बचपन बड़ा निराला,कुचमादों का डेरा … Read more

राजकिशोर धिरही के बेहतरीन बाल कवितायेँ

बाल दिवस पर बेहतरीन बाल कवितायेँ राजकिशोर धिरही के द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे हैं जो आपको बेहद पसंद आयेगी.

बाल भिक्षुक -आशीष कुमार

प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक “बाल भिक्षुक” है जोकि आशीष कुमार मोहनिया, कैमुर, बिहार की रचना है. इसे वर्तमान समाज में दीन हीन अनाथ बच्चों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखकर लिखा गया है जिनका जीवन बसर आज भी मंदिर की सीढ़ियों पर या फिर हाट बाजार में भीख मांग कर होता है.

ननपन के सुरता (छत्तीसगढ़ी कविता)

ननपन के सुरता (छत्तीसगढ़ी कविता) ➖➖➖➖➖➖रचनाकार-महदीप जंघेलग्राम-खमतराई,खैरागढ़जिला- राजनांदगांव(छ.ग)विधा-छत्तीसगढ़ी कविता पहली के बात, मोर मन ल सुहाथे।ननपन के सुरता मोला अब्बड़ आथे।। होत बिहनिया अंगाकर रोटी ल,खाय बर अभर जावन।कमती खा के घलो,दाई के मया अउदुलार ले अघा जावन।।दूध दही मही अउ घीव घलो,जम के खावन।दिन भर खेलकूद के ,सब्बो ल पचावन।।तिहार के ढिलबरा कोचई कढ़ी,मोला … Read more

अल्हड़ बचपन -मनीभाई नवरत्न (तांका विधा)

बचपन को आधार मानकर लिखी गई मनीभाई नवरत्न की तांका आप के समक्ष प्रस्तुत