योग बने मुस्कान हमारी / डा० भारती वर्मा बौड़ाई

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डा० भारती वर्मा बौड़ाई की यह कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य योग के लाभों को सरल और सहज रूप में प्रस्तुत करना है, ताकि पाठक इसे आसानी से समझ सकें और अपने जीवन में शामिल कर सकें। योग बने मुस्कान हमारी / डा० भारती वर्मा बौड़ाई योग … Read more

योग से दिन है सुहाना / कवि डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर”

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डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर” की यह कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य पाठकों को योग के लाभों से अवगत कराना और उन्हें इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित करना है। योग से दिन है सुहाना / कवि डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर” योग से दिन है सुहाना,  योग को … Read more

योग भगाये रोग / कंचन कृतिका

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कंचन कृतिका की कविता “योग भगाये रोग” योग के शारीरिक और मानसिक लाभों को उजागर करती है। इस कविता में योग के महत्व और उसके द्वारा रोगों के निवारण का वर्णन किया गया है। कवि ने योग को एक चमत्कारी उपाय के रूप में प्रस्तुत किया है, जो न केवल शारीरिक बीमारियों से छुटकारा दिलाता … Read more

सरकारी योग दिवस / विनोद सिल्‍ला

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विनोद सिल्ला की कविता “सरकारी योग दिवस” में योग दिवस के औपचारिक और सरकारी रूप को चित्रित किया गया है। कविता के माध्यम से कवि ने योग दिवस के आयोजन की प्रक्रिया, उसकी तैयारियों और इसके सामाजिक-राजनीतिक महत्व को व्यंग्यात्मक और भावनात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। विनोद सिल्ला की काव्य शैली सरल, प्रवाहमयी और … Read more

सहज योग तुम कर लेना / राजेश पाण्डेय *अब्र*

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इस कविता में कवि राजेश पाण्डेय ‘अब्र’ सहज योग को अपनाने और उसके लाभों के बारे में बता रहे हैं। सहज योग एक ऐसी साधना है जो सरलता से की जा सकती है और इसके माध्यम से व्यक्ति आत्मज्ञान और शांति की प्राप्ति कर सकता है। यह योग व्यक्तिगत विकास, मानसिक शांति, और आत्मा के … Read more