सृजन-गीत – हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश
सृजन-गीत कब गायेगा – हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब गायेगा। टेक। क्षिति-जल-अम्बर नित विकास के,बन कर साक्ष्य महान हुए,धरा बधूटी बन मुसकाई,स्वप्निल सुखद बिहान हुए।द्वन्द्व-द्वेष ने कब आ घेरा,मुझको कौन बतायेगा।कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा।1। श्मशान पटे हैं लाशों से,असहाय तड़पती सॉसों … Read more