सृजन-गीत – हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

सृजन-गीत कब गायेगा – हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब गायेगा। टेक। क्षिति-जल-अम्बर नित विकास के,बन कर साक्ष्य महान हुए,धरा बधूटी बन मुसकाई,स्वप्निल सुखद बिहान हुए।द्वन्द्व-द्वेष ने कब आ घेरा,मुझको कौन बतायेगा।कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा।1। श्मशान पटे हैं लाशों से,असहाय तड़पती सॉसों … Read more

चिंता से चिता तक

चिंता से चिता तक मां बाप को बच्चों के भविष्य की चिन्ता,महंगे से स्कूल में एडमिशन की चिन्ता।स्कूल के साथ कोचिंग, ट्यूशन की चिन्ता,शहर से बाहर हाॅस्टल में भर्ती की चिन्ता।। जेईई, नीट, रीट कम्पीटीशन की चिन्ता,सरकारी, विदेशी कं. में नौकरी की चिन्ता।राजशाही स्तर का विवाह करने की चिंता,विवाह पश्चात विदेश में बस जाने की … Read more