सृजन-गीत कब गायेगा - हरिश्चन्द्र त्रिपाठी 'हरीश कविता संग्रह कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब गायेगा। टेक।क्षिति-जल-अम्बर नित विकास के,बन कर साक्ष्य महान हुए,धरा…
प्रस्तुत प्रेरणा गीत का शीर्षक "मंजिल पुकार रही है" जोकि आशीष कुमार मोहनिया, कैमूर, बिहार की रचना है. यह लोगों को उनकी मंजिल पाने की अर्थात कामयाबी हासिल करने के लिए हमेशा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा पर आधारित गीत है.
जीवन यात्रा में बहुत कुछ अकारण होते,रचते रहना चाहिए। वृत्ताकार और यंत्रवत जीवन जीने से मर सा जाता है आदमी और निष्प्राण हो जाती है उसके अंदर की आदमियत...
ये आम अनपढ़ बावला है कविता संग्रह दुर्व्यवस्था देख,क्या लाचार सा रोना भला है।क्या नहीं अब शेष हँसने की रही कोई कला है।शोक है उस ज्ञान पर करता विमुख पुरुषार्थ…
प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न हम करते जाते हैं कामवही जो करते आये हैंया फिर वो ,जो अब हमारे शरीर के लिएहै जरूरी। इस दरमियानकभी जो चोट लगेया हो जाये गलतियां।तो पछतावा…