वो कांधा ना दिखा – आदित्य मिश्रा

वो कांधा ना दिखा – आदित्य मिश्रा

कविता संग्रह
कविता संग्रह

सब कहते हैं बहुत मजबूत हो
आंखे तुम्हारी बरसती ही नहीं।
मुस्कुराती हो हमेशा ही तुम
क्या गम से कभी गुजरी ही नहीं।

मैं खिलखिला जाती हूं
आंसू आंखों में छुपाती हूं।
कैसे कहूं उनसे अब मैं
रोना तो बहुत चाहा था मैंने
पर कोई मजबूत कांधा ना मिला।
पी ले मेरे आसुयों को कोई
ऐसा कोई शख्स ही ना दिखा।

तो बेवजह तुझे अपना दुख क्यों बताऊं
अपना जुलूस क्यों निकलवाऊं।
जब अपने गमों से खुद ही निपटना है
तो किस बात का रोना,धोना हैं ।

स्वरचित ✍️
साहित्यकार आदित्य मिश्रा
दक्षिणी दिल्ली,दिल्ली 9140628994

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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