क्या यही है “आस्था – शशि मित्तल “अमर”

आस्था धूम मची है,जय माता की… मंदिरों, पंडालों में, लगी है भीड़ भक्तों की.. क्या यही है “आस्था “? मन सशंकित है मेरा, वृद्धाश्रम में दिखती माताएँ… जो जनती हैं एक “वजूद”रचती हैं सृष्टि… थक जाती हैं तब, निकाल दी जाती हैं, एक अनंत अंधकार की ओर… कन्या भोजन, भंडारे का आयोजन!! पूजी जाती कन्याएं… … Read more