नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम

नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम मेरा बदन एक पुराना पेड़ है…और तेरा इश्क़ नागवंशी –युगों से मेरे पेड़ कीएक खोह में रहता है। नागों का बसेरा ही पेड़ों का सच हैनहीं तो ये टहनियाँ और बौर-पत्ते –देह का बिखराव होता है… यूँ तो बिखराव भी प्याराअगर पीले दिन झड़ते हैंतो हरे दिन उगते … Read more