Tag: #अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • प्यार से दुश्मनी को मिटा दंगे हम-अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    प्यार से दुश्मनी को मिटा दंगे हम -अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    प्यार की खुशबू से सारे जहां को नहला दंगे हम
    फिर कोई कह नहीं सकेगा
    वो ओसामा है वो सद्दाम है
    हर तरफ नानक, कबीर, गौतम की वाणी
    गुंजा दंगे हम
    कौन कहता है कि
    अजान सुनाई नहीं देती
    घर घर में कुरान
    खिला दंगे हम
    लगने लगेंगे हर जगह
    धर्म के मेले
    सारे जहां को
    धर्मगाह बना दंगे हम
    एकता हर मोड़ पर हर जगह
    दिखाई देगी तुमको
    लोगों को एकता के सूत्र में
    पिरो दंगे हम
    भारत वतन है एकता की
    खुशबू का
    सारे जहां को
    इसका हिस्सा बना दंगे हम
    कि किस्सा –ऐ – जन्नत सुना होगा सबने
    कि हर गली हर कूचे को
    जन्नत बना दंगे हम
    कि धरती है प्रकृति का
    नायाब तोहफा
    चारों और हरियाली
    बिछा दंगे हम
    पालते हैं हम
    अपने दिल में
    जज्बा ऐ वतन
    कि भारत माँ के लाल बनकर
    दिखा दंगे हम
    कि हर गली हर कूचे को
    आतंकवाद से बचा कर रखना
    कूद पड़े जो मैदान में तो
    देश के लिए सर कटा दंगे हम
    वतन पर मिटने की
    तमन्ना रही सदियों से
    कि हर एक बूँद कतरा बन
    देश पर लुटा दंगे हम
    मुझे प्यारा है मेरा वतन
    मुझे प्यारा है मेरा चमन
    इस देश पर अपना सर्वस्व
    लुटा दंगे हम
    इस देश पर अपना सर्वस्व
    लुटा दंगे हम
    इस देश पर अपना सर्वस्व
    लुटा दंगे हम

  • भारत है आने वाले कल का आगाज़ – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    भारत है आने वाले कल का आगाज़ – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    tiranga

    भारत है आने वाले कल का आगाज़
    जिसके सर पर होगा
    भविष्य की दुनिया का ताज
    पलती है जहां संगीत की संस्कृति
    घुंघरुओं की आवाज़ पर
    जहां मूक भी मधुर वाणी में
    गाते हैं आलाप सुनकर
    कथा यहाँ की निराली है
    हर छटा यहाँ की निराली है
    संस्कारों की पुण्य भूमि यह
    दुनिया की शान मात्रभूमि यह
    भारत का अर्थ इसके सत्य में है
    जीता है भारत
    हर भारतीय के कर्म में
    सुदामा – कृष्ण की दोस्ती के
    किस्से यहाँ पलते हैं
    राम – हनुमान की भक्ति के
    सत्य यहाँ खिलते हैं
    गौतम – नानक की पुण्यभूमि यह
    यहाँ गली – गली में आलाप इनके सुनते हैं
    पावन जिसकी नदियों के घाट हैं
    बुलाते हम सबको मंदिर – मस्जिद के द्वार हैं
    त्योहारों की छटा की बात मत पूछो यारों
    यहाँ राम और रहीम खाते एक थाल हैं
    मुस्कुराती यहाँ चारों ओर हरियाली है
    अपनी ओर खींचती यहाँ हर धर्म की डाली है
    पवित्रता इस धरा की निराली है
    पूजे जाते साधु- संत और यहाँ पीर हैं
    पत्थर भी पूजे जाते यहाँ
    धर्मपूर्ण धरा यह विश्व में निराली है
    भारत है आने वाले कल का आगाज़
    जिसके सर पर होगा भविष्य की दुनिया का ताज

  • कर्म कर ले प्यारे – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कर्म कर ले प्यारे – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

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    पाप पुण्य के चक्कर में
    मत पड़ प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    परिणाम की चिंता में
    नींद हराम मत कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीवन बहती
    धारा का नाम है
    हो सके तो जीवन में
    कुछ अच्छे काम कर ले प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    आत्मा पवित्र कर
    परमात्मा में
    लीन हो प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    सद्चरित्र धरती पर
    जीवता हर मुकाम है
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    निराशा के झूले में
    झूलना मत प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    योग का आचमन कर
    आत्मा को पुष्ट कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीवन बहती नदी है
    विश्राम ना कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    मन है चंचल पर
    आत्मा पर अपनी
    अंकुश लगा प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीना है धरा पर तो
    पुन्यमूर्ती बन कर जी प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    सत्कर्म पूजनीय परमात्मा
    दर्शन देत प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    जीवन लगाम कस
    अल्लाह को सलाम कर प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    बंधनों के मोह में
    तू ना पड़ प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    शांत स्वभाव
    मृदु वचन बोल प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    निर्बाध तू बढ़ा चल
    भक्ति का आँचल पकड़
    जीवन राह विस्तार कर ले प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    साँसों की डोर की मजबूती का
    भरोसा नहीं है
    उड़ सके तो सद्ज्ञान के
    आसमान में उड़ प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे
    अधर्म की राह छोड़
    धर्म पथ से नाता जोड़
    किस्मत संवार ले
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे


    छूना है आसमान
    पाना है उस पुण्यमूर्ति
    परम परमात्मा को
    जीवन को अपने
    कर्म पथ पर निढाल
    कर ले प्यारे
    कर्म कर कर्म कर
    कर्म कर ले प्यारे

  • जंगल की आग – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    जंगल की आग – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    जंगल की आग देखकर
    सिहर उठता हू मैं
    सोचता हूँ उस सूक्ष्म जीव
    का क्या हुआ होगा
    जो अभी- अभी किसी अंडे से
    बाहर आया होगा
    आँखें अभी उसकी खुली भी नहीं
    तन पर जिसके अभी ऊर्जा आई ही नहीं

    जंगल की आग देखकर सिहर उठता हू मैं।

    शेर के उस छोटे से बच्चे का
    अंत कितना भयावह रहा होगा
    अभी तो उसने अपनी माँ के
    दूध का आचमन भी न किया होगा
    वह अपने भाई बहनों के साथ खेल भी ना सका
    कि मौत के खेल ने अपना रंग दिखा दिया

    जंगल की आग देखकर सिहर उठता हू मैं।

    उन छोटी – छोटी चीटियों की भी बात करें हम
    टिक-टिक कर रेंगती यहाँ से वहाँ
    क्या हुआ होगा इनका
    अंडे इनके अपने बच्चों को इस धरती पर
    बाहर भी न ला पाए होंगे
    कि जंगल की आग ने इन्हें अपनी आगोश में ले लिया होगा

    जंगल की आग देखकर सिहर उठता हू मैं।

    बात हम उनकी भी करें जंगल जिनका जीवन स्थल है
    वे झोपड़ी बना जंगल पर आश्रित रहते हैं
    रोज का भोजन रोज एकत्रित करने वाले ये जीव ये प्राणी
    क्या इन्हें बाहर भागकर आने का मौक़ा मिला होगा
    या चारों और फैलती भयावह आग ने इन्हें निगल लिया होगा

    जंगल की आग देखकर सिहर उठता हू मैं।

    ये जंगल की आग केवल जंगल की आग ही नहीं
    वरन समाज में फ़ैली कुरीतियों की ओर भी संकेत देती हैं
    दंगा , आतंकवाद भी समाज में जंगल की आग की तरह
    सब कुछ नष्ट कर मानव जीवन को बेहाल करती है
    क्षेत्रीयतावाद, जातिवाद, धर्मवाद आज भी
    जंगल में आग की तरह हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे
    ये आग देखकर सिहर उठता हूँ मैं
    इस आग में जलते मानव को, झुलसते मानव को
    देख रो पड़ता हूँ मैं रो पड़ता हूँ मैं

    जंगल की आग देखकर सिहर उठता हू मैं।
    जंगल की आग देखकर सिहर उठता हू मैं।

    – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

  • लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    kavita

    लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा
    सुबह हो या शाम ओ मेरे खुदा
    तेरे दीदार की हसरत हो मुझे
    तेरी कायनात से मुहब्बत हो मुझे
    हर इक शै से रूबरू करना मुझे
    अपने हर इक इल्म से नवाजो मुझको
    अपने दर का नूर बना लो मुझको


    मैं चाहता हूँ तेरा करम हो मुझ पर
    तेरा एहसास आसपास मेरे हो अक्सर
    गरीबों का सहारा बनूँ ओ मेरे खुदा
    लोगों की आँखों का तारा बनूँ ओ मेरे खुदा
    मुझे भी आसमां का इक तारा कर दो
    खिलूँ मैं चाँद की मानिंद कुछ ऐसा कर दो
    ए खुदाया तेरी रहमत तेरा करम हो मुझ पर
    तेरे साए में गुजारूं ये जिन्दगी ओ खुदा


    तू आसपास ही रहना मेरा रक्षक बनकर
    तेरे क़दमों पे बिछा दूं ये जिन्दगी मौला
    मैं तुझे चाहूँ तुझे अपनी जिन्दगी से परे
    कि मैं वार दूं खुद को तुझ पर ए खुदा
    कुछ ऐसा करना मैं रहूँ तेरे करम के काबिल
    तुझे हर वक़्त दिल के करीब पाऊँ ए मेरे खुदा
    लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा
    सुबह हो या शाम ओ मेरे खुदा