मच्छर पर कविता /पद्म मुख पंडा

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मच्छर पर कविता/ पद्म मुख पंडा ये मच्छर भी? न दिन देखते, न रात,ये आवारा मच्छर,करते हैं, आघात मुंह से,जहरीले तरल पदार्थ,मानव शरीर के अंदर,डालकर, चंपत हो जाते हैं!होती है खुजली,होकर परेशान , आदमी लेता है संज्ञान,मॉस्किटो क्वाइल जलाकर,आश्वस्त हो जाता है,मच्छर से बदला लेने का,यह तरीका भी फीका पड़ चुका है,मच्छर धुएं के साथ … Read more

विश्व मलेरिया दिवस पर कविता /राजकिशोर धिरही

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विश्व मलेरिया दिवस पर कविता /राजकिशोर धिरही बचना मच्छर काट से,मानो मेरी बातमच्छरदानी को लगा,नींद पड़े दिन रात।।नींद पड़े दिन रात,हटे बाधा तब सोना।स्वच्छ रहे घर द्वार,साफ हो कोना कोना।।मलेरिया से दूर,सुरक्षा घेरा रचना।उड़ते मक्खी कीट,सदा इनसे तुम बचना।। पानी आँगन में भरे,बाहर उसको फेंक।मच्छर का लार्वा बढ़े,बीमारी की टेक।।बीमारी की टेक,गंदगी बढ़ता जाता।मलेरिया ज्वर … Read more