बादलो ने ली अंगड़ाई
बादलो ने ली अंगड़ाई बादलो ने ली अंगड़ाई,खिलखलाई यह धरा भी!हर्षित हुए भू देव सारे,कसमसाई अप्सरा भी! कृषक खेत हल जोत सुधारे,बैल संग हल से यारी !गर्म जेठ का महिना तपता,विकल जीव जीवन भारी!सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,बचा न अब नीर जरा भी!बादलों ने ली अंगड़ाई,खिलखिलाई यह धरा भी! घन श्याम वर्णी हो रहा नभ,चहकने … Read more