अभिलाषा पर दोहे – बाबूराम सिंह

अभिलाषा पर दोहे मेरा मुझमें कुछ नहीं ,सब कुछ तेरा प्यार। तू तेरा ही जान कर ,सब होते भव पार।। क्षमादया तेरी कृपा,कण-कण में चहुँ ओर।अर्पण है तेरा तुझे ,क्या लागत है मोर।। सांस-सांस में रम रहा ,तू है जीवन डोर।माया मय पामर पतित ,मै हूँ पापी घोर।। तार करूणा कर मुझे ,हे दीनों के … Read more

नारी के अधिकार पर कविता – बाबूराम सिंह

नारी के अधिकार पर कविता – बाबूराम सिंह नारी है नारायणी जननी जगत जीव की ,सबहीं की गुरु सारी सृष्टि की श्रृंगार है ।जननीकी जननीभी नारीकी विशेषता है ,महिमा नारी की सदा अगम अपार है ।जननी बहिन बहु -बेटी धर्मपत्नी बन ,सुखद बनाती सदा घर परिवार है।आदर सत्कार मान”कवि बाबूराम “कर ,औरत के बिना सही … Read more

अनमोल मानव जीवन पर कविता

अनमोल मानव जीवन पर कविता पकड़ प्यार सत्य धर्म की डोर ,बढ़ सर्वदा प्रकाश की ओर।मधुर वचन सबहिं से बोल,मानव जीवन है अनमोल। औरों से सद्गुण सम्भाल,निजका अवगुण दोष निकाल।सत्य वचन से कभी ना डोल,मानव जीवन है अनमोल। वैर- विरोध का नाम मिटाओ,आपस में सद्भाव बढा़ओ।मन कि गाँठें ज्ञान से खोल,मानव जीवन है अनमोल। पर … Read more

माता है अनमोल रतन – बाबूराम सिंह

माता है अनमोल रतन स्वांस-स्वांस में माँहै समाई,सदगुरुओं की माँ गुरूताई।श्रध्दा भाव से करो जतन,माता है अनमोल रतन।। अमृत है माता की वानी, माँ आशीश है सोना -चानी।माँ से बडा़ ना कोई धन, माता है अनमोल रतन।। माँका मान बढा़ओ जग में,सेवा से सब पाओ जग में।मणि माणिक माता कंचन,माता है अनमोल रतन।। सुख शान्ति … Read more

इस वसुधा पर इन्सान वहीं – बाबूराम सिंह

कविता इस वसुधा पर इन्सान वहीं —————————————- धन,वैभव,पदविद्या आदिका जिसको हैअभियाननहीं। सत्य अनुपम शरणागत इस वसुधा पर इन्सान वहीं। सत्य धर्म फैलाने आला, विषय पीकर मुस्काने वाला, अबला अनाथ उठाने वाला, प्यार, स्नेह लुटाने वाला परहित में मर जाने वाला।अपना और परायाका जिसकेउर अंदर भान नहीं। सत्य अनुपम शरणागत इस वसुधा पर इन्सान वहीं। पर … Read more