ये लहू है आँखों का कोई पानी नहीं है
ये लहू है आँखों का कोई पानी नहीं है जज़्बातों की होगी ज़रूरत समझने को इसे लफ़्ज़ों से समझ जाए कोई ये वो कहानी नहीं हैये जो लग रहा है…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०दीपक राज़ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
ये लहू है आँखों का कोई पानी नहीं है जज़्बातों की होगी ज़रूरत समझने को इसे लफ़्ज़ों से समझ जाए कोई ये वो कहानी नहीं हैये जो लग रहा है…
साल ही तो है कुछ को होगी ख़ुशी, कोई ग़म से भर जाएगान जाने ये नया साल भी, क्या कुछ कर जाएगा कुछ अरमान होंगे पूरी इसमें उम्मीद है हमेंऔर…
गणतंत्र दिवस पर कविता : गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था।…