प्रेम पर कविता – विनोद सिल्ला

प्रेम पर कविता -विनोद सिल्ला गहरा सागर प्रेम का, लाओ गोते खूब।तैरोगे तो भी सही, निश्चित जाना डूब।। भीनी खुशबू प्रेम की, महकाए संसार। पैर जमीं पर कब लगें, करे प्रेम लाचार।। पावन धारा प्रेम की, बहे हृदय के बीच।मन निर्मल करके नहा,व्यर्थ करोमत कीच।। साज बजे जब प्रीत का, झंकृत मन के तार।रोम-रोम में … Read more

मैं हूँ मोहब्बत – विनोद सिल्ला

मोहब्बत मुझेखूब दबाया गयासूलियों परलटकाया गयामेरा कत्ल भीकराया गयामुझे खूब रौंदा गयाखूब कुचला गयामैं बाजारों में निलाम हुईगली-गली बदनाम हुईतख्तो-ताज भीखतरा मानते रहेरस्मो-रिवाज मुझसेठानते रहेजबकि में एकपावन अहसास हूँहर दिल केआस-पास हूँबंदगी काहसीं प्रयास हूँमैं हूँ मोहब्बतजीवन का पहलूखास हूँ। –विनोद सिल्ला©

मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई

मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई मैंने चाहा तुमको हद से,कोई खता तो नहीं।मैंने मांगा मेरे राम सेकोई ज्यादा तो नहीं।तू समझे या ना समझेतू चाहे या ना मुझे चाहेइसमें कोई वादा तो नहीं। तेरी भोली बातें सुनूं,या देखूं ये निगाहेंकैसे संभालूं दिल को,कैसे छुपाऊं आहें।तेरे पास पास रहूं,तेरे साथ साथ चलूंइसकी कोई वजह तो … Read more

प्रेम भाव पर हिंदी कविता -डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

प्रेम भाव पर हिंदी कविता शांत सरोवर में सदा , खिलते सुख के फूल।क्रोध जलन से कब बना,जीवन यह अनुकूल।। मानवता के भाव का,समझ गया जो मर्म।उनके पावन कर्म से , रहता दूर अधर्म।। मन में हो विश्वास जब,जीवन बनता स्वर्ग।शुभकर मन के भाव से , बढ़े जगत संसर्ग।। मन को शीतल ही करें , … Read more

सरसी छंद विधान / बीत बसंत होलिका आई/ बाबू लाल शर्मा

holika-dahan

सरसी छंद का विधान निम्नलिखित है: उदाहरण के रूप में: सरसी छंद विधान / बीत बसंत होलिका आई/ बाबू लाल शर्मा बीत बसंत होलिका आई,अब तो आजा मीत।फाग रमेंगें रंग बिखरते,मिल गा लेंगे गीत। खेत फसल सब हुए सुनहरी,कोयल गाये फाग।भँवरे तितली मन भटकाएँ,हम तुम छेड़ें राग। घर आजा अब प्रिय परदेशी,मैं करती फरियाद।लिख कर … Read more