शारदे आयी हो मेरे अंगना
हे माँ शारदे, महाश्वेता आयी हो मेरे अंगना ।
पूजूँगा तुम्हें हे शतरूपा, वीणापाणि माँ चंद्रवदना ।।
बसंत ऋतु के पाँचवे दिवस पर हंस पे चढ़ कर आती हो।
हे मालिनी इसलिए तुम हंसवाहिनी कहलाती हो।।
माता तुम हो पुस्तक-धारिणी पुस्तक चढ़े तेरे चरणों में।
ज्ञान का वर दो हे महामाया आया हूँ तेरी शरणों में ।।
ज्ञान का गागर भरकर माता अपने साथ जो लाती हो ।
अज्ञानता को दूर भगा माँ ज्ञान का अमृत पिलाती हो ।।
हे चित्रगंधा माँ सरस्वती अबीर गुलाल तुम्हें भाता है ।
तेरे आगमन से महाभद्रा फाग संगीत शुरू हो जाता है ।।
आम की मंजरी, गेहूँ की बाली तेरी चरणों में आने को तरस रही।
गेंदा,गुलाब,जूही और केतकी तेरी चरणों में बरस रही ।।
गाजर,बेर,शकरकंद और अमरूद का बनता है महाप्रसाद ।
महाप्रसाद खाने से सुवासिनी मिलता हमें ज्ञान का स्वाद ।।
हे वागीश्वरी ज्ञानदायिनी आते रहना तुम हर साल ।।
खुशी- खुशी पूजूँगा माता और उड़ाऊ खूब गुलाल ।।
✍बाँके बिहारी बरबीगहीया ✍