बसंत पंचमी पर कविता

बसंत पंचमी पर कविता

मदमस्त    चमन

अलमस्त  पवन

मिल रहे  हैं देखो,

पाकर  सूनापन।

उड़ता है सौरभ,

बिखरता पराग।

रंग बिरंगा सजे

मनहर ये बाग।

लोभी ये मधुकर

फूलों पे है नजर

गीला कर चाहता

निज शुष्क अधर।

सजती है धरती

निर्मल है आकाश।

पंछी का कलरव,

अब बसंत पास।

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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