Hindi poem on Magh
माघ शुक्ल की पंचमी : माघ शुक्ल पंचमी भारतीय पंचांग के अनुसार ग्यारहवें माह की पाँचवी तिथि है, वर्षान्त में अभी ५५ तिथियाँ अवशिष्ट हैं।
ऋतुराज बसंत पर दोहे
ऋतुराज बसंत पर दोहे धरती दुल्हन सी सजी,आया है ऋतुराज।पीली सरसों खेत में,हो बसंत आगाज।।1।। कोकिल मीठा गा रही,भांतिभांति के राग।फूट रही नव कोंपलें , हरे भरे हैं बाग।।2।। पीली चादर ओढ़ के, लगती धरा अनूप।प्यारा लगे बसंत में, कुदरत का ये रूप।।3।। हरियाली हर ओर है , लगे आम में बौर।हुआ शीतअवसान है,ऋतु बसंत … Read more
बसंत पंचमी पर कविता
बसंत पंचमी पर कविता मदमस्त चमन अलमस्त पवन मिल रहे हैं देखो, पाकर सूनापन। उड़ता है सौरभ, बिखरता पराग। रंग बिरंगा सजे मनहर ये बाग। लोभी ये मधुकर फूलों पे है नजर गीला कर चाहता निज शुष्क अधर। सजती है धरती निर्मल है आकाश। पंछी का कलरव, अब बसंत पास।