by कविता बहार | Jan 29, 2022 | हिंदी कविता
सूरज पर कविता – सुकमोती चौहान “रुचि रवि की शाश्वत किरण – सीसरिता की अनवरत धार – सीलेखनी मेरी चलती रहनाजन-जन की वाणी बनकरमधुर संगीत घोलती रहनाउजड़े जीवन की नीरसता में।छा जाना मधुमास बनकरपतझड़ की वीरानी में।तुम्हें करनी है यात्राजीवन के अवसान... by कविता बहार | Feb 19, 2021 | विविध छंदबद्ध काव्य
माघ शुक्ल सप्तमी माघ शुक्ल की सप्तमी,रवि का आविर्भाव।लिखा भविष्य पुराण में,अविचल अंड प्रभाव ।।अधिक दिनों तक थे स्वयं,सूर्य देव भी अंड ।इसीलिए है नाम भी,उनका श्री मार्तण्ड।।यह तिथि है अति पुण्य की ,अचला, भानु, अर्क।सुत दायक भी कह रहे,करके तर्क-वितर्क।।नारद नाम पुराण... by कविता बहार | Mar 2, 2020 | Uncategorized
सूरज पर कविता सुबह सबेरे दृश्य मीत यामिनी ढलना तय है,कब लग पाया ताला है।*चीर तिमिर की छाती को अब,**सूरज उगने वाला है।।* आशाओं के दीप जले नित,विश्वासों की छाँया मे।हिम्मत पौरुष भरे हुए है,सुप्त जगे हर काया में। जन मन में संगीत सजे है,दिल में मान शिवाला है।चीर... by कविता बहार | Oct 25, 2019 | हिंदी कविता
सूरज पर कविता सुबह सबेरे दृश्य लो हुआ अवतरित सूरज फिर क्षितिज मुस्का रहा।गीत जीवन का हृदय से विश्व मानो गा रहा।। खोल ली हैं खिड़कियाँ,मन की जिन्होंने जागकर, नव-किरण-उपहार उनके पास स्वर्णिम आ रहा। खिल रहे हैं फूल शुभ,सद्भावना के बाग में,और जिसने द्वेष पाला वो चमन...