नारा भर हांकत हन (व्यंग्य रचना)

hasdev jangal

एकर सेती भैया हो , जम्मो मनखे मन,ला मिलजुल के,लालच ला दुरीहा के पर्यावरण बचाए बर कुछ करना
पड़ही। लेकिन ये हा केवल मुंह अउ किताब भर मा तिरिया जाथे।

वृक्ष की पुकार कविता -महदीप जंघेल

चंद पैसों के लिए वृक्ष का सौदा न करे। वृक्ष है, तो विश्व है। वृक्ष हमारी माँ के समान है, जो हमे जीवन प्रदान करके सब कुछ अर्पण करती है। अतः पेड़ लगाएं और पर्यावरण बचाएं🌻🌻

वृक्ष की पुकार – कविता, महदीप जंघेल

कोरोना टीका जरूर लगवाएं – महदीप जंघेल

आप सभी से विनम्र अपील है कि,किसी भ्रांतियों में न पड़े। किसी को न ही डराएं, न किसी को बहकाएं। प्राणरक्षक कोरोना का टीका अवश्य लगवाएं।

नर्स दिवस पर कविता: सेवाभावी परिचारिका – महदीप जंघेल

यदि डॉक्टर भगवान का रूप है,
तो नर्स भी देवी का रूप है।
जो हर पल मां के समान मरीजों की देखभाल करती है। उनको मेरा सादर प्रणाम

कभी सोचा न था- कविता – महदीप जंघेल

राज्य और देश में अभी कोरोना महामारी फैला हुआ है।
सब लोग परेशान है। कई लोगो की दुनिया उजड़ चुकी है।लोग अपनो को खो चुके है। अतः घर में रहे सुरक्षित रहे।
अपने आत्मविश्वास को मजबूत रखे। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे। हम सभी मिलकर कोरोना को जरूर हराएंगे।
जरूर हारेगा कोरोना।