मन की लालसा किसे कहे

मन की लालसा किसे कहे सच कहुं तो कोई लालसा रखी नहींमन की ललक किसी से कही नहीं क्यों कि     जीवन है मुट्ठी में रेत    धीरे धीरे फिसल रहा   खुशियां, हर्ष, गम प्रेम   इसी से मन बहल रहा। बचपन की राहे उबड़ खाबड़,फिर भी आगे बढ़ते रहे,भेद भाव ना बैर मन मेंनिश्छल ही चलते … Read more

उड़ जाए यह मन

उड़ जाए यह मन (१६ मात्रिक) यह,मन पागल, पंछी जैसे,मुक्त गगन में उड़ता ऐसे।पल मे देश विदेशों विचरण,कभी रुष्ट,पल मे अभिनंदन,मुक्त गगन उड़ जाए यह मन। पल में अवध,परिक्रम करता,सरयू जल मन गागर भरता।पल में चित्र कूट जा पहुँचे,अनुसुइया के आश्रम पावन,मुक्त गगन उड़ जाए यह मन। पल शबरी के आश्रम जाए,बेर, गुठलियाँ मिलकर खाए।किष्किन्धा … Read more