Tag *मन की लालसा पर कविता

मन की लालसा किसे कहे

मन की लालसा किसे कहे सच कहुं तो कोई लालसा रखी नहींमन की ललक किसी से कही नहीं क्यों कि     जीवन है मुट्ठी में रेत    धीरे धीरे फिसल रहा   खुशियां, हर्ष, गम प्रेम   इसी से मन बहल रहा। बचपन…

उड़ जाए यह मन

उड़ जाए यह मन (१६ मात्रिक) यह,मन पागल, पंछी जैसे,मुक्त गगन में उड़ता ऐसे।पल मे देश विदेशों विचरण,कभी रुष्ट,पल मे अभिनंदन,मुक्त गगन उड़ जाए यह मन। पल में अवध,परिक्रम करता,सरयू जल मन गागर भरता।पल में चित्र कूट जा पहुँचे,अनुसुइया के…