गुस्से पर कविता

गुस्से पर कविता कौन है जिसको गुस्सा आता नहीं,कौन है जो गुस्से को दबाता नहीं! जिंदगी में जिसने ना गुस्सा किया,देवता है पर खुद को बताता नहीं! जो स्वयं गुस्सा अपनी दबा लेता है,वो सच में किसी को सताता नहीं! गुस्से से हानि-हानि केवल हानि है,बिन विकारों के ये फिर जाता नहीं! जीवन में हंसना … Read more

भावनाओं को कुछ ऐसा उबाल दो- रामकिशोर मेहता

भावनाओं को कुछ ऐसा उबाल दो भावनाओं को कुछ ऐसा उबाल दो।जनता न सोचेसत्ता के बारे में,उसके गलियारे में,नित नयेसवाल कुछ उछाल दो। खड़ा कर दोनित नया उत्पात कोई।भूख और प्यास कीकर सके न बात कोई।शान्ति से क्यों सांस ले रहाकोई शहर।घोल दो हवाओं मेंनित नया जहर। अट्टालिकाओं की तरफउठे अगरकोई नजरदूर सीमाओं पर उठा … Read more