होलिका दहन पर कविता-प्रवीण त्रिपाठी
होलिका दहन पर कविता मधुमासी ऋतु परम सुहानी, बनी सकल ऋतुओं की रानी।ऊर्जित जड़-चेतन को करती, प्राण वायु तन-मन में भरती।कमल सरोवर सकल सुहाते, नव पल्लव तरुओं पर भाते।पीली सरसों ले अंगड़ाई, पीत बसन की शोभा छाई। वन-उपवन सब लगे चितेरे, बिंब करें मन मुदित घनेरे।आम्र मंजरी महुआ फूलें, निर्मल जल से पूरित कूलें।कोकिल छिप … Read more