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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0रेखराम साहू के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

संक्रांति पर कविता/ रेखराम साहू

संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को कहा जाता है। वर्ष में कुल 12 संक्रांतियाँ होती हैं, लेकिन सबसे प्रमुख मकर संक्रांति मानी जाती है, क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि…

यह पतन का पाशविक उत्थान /रेखराम साहू

     यह पतन का पाशविक उत्थान है शीर्ष से आहत हुआ सोपान है,भूमिका का घोर यह अपमान है। झुर्रियों का जाल है जो भाल पर,काल से संघर्ष का आख्यान है। पारितोषिक में अनाथालय उसे,उम्र भर जिसने किया बलिदान है। युद्ध…

खूबसूरत है मग़र बेजान है / रेखराम साहू

खूबसूरत है मग़र बेजान है खूबसूरत है मग़र बेजान है,ज़िंदगी से बुत रहा अनजान हैं। बेचता ताबीज़ है बहुरूपिया,है वही बाबा, वही शैतान है। माँगता है,शर्त रखता है कभी,‘प्यार का दावा’, अभी नादान है । रूह की कीमत बहुत नीचे…

शेष शव शिव पर कविता / रेखराम साहू

शेष शव शिव पर कविता / रेखराम साहू शेष शव,शिव से जहाँ श्रद्धा गयी सभ्यता किस मोड़ पर तू आ गयी,कालिमा तुम पर भयंकर छा गयी। लालिमा नव भोर की है लीलकर,पूर्णिमा की चाँदनी, तू खा गयी। चाट दी चौपाल…

प्रकृति पर दोहे/रेखराम साहू

प्रकृति पर दोहे/रेखराम साहू प्रकृतिजन्य जीवन सभी,रहे नित्य यह ज्ञान।घातक जो इनके लिए, त्याज्य सभी विज्ञान।। प्रकृति बिना जीवन नहीं,प्रकृति प्राण आधार।जीवन और प्रकृति बिना,धन-पद सब निस्सार।। जीवन पोषक हों सभी, धर्म-कर्म के कोष।धर्म-कर्म परखे बिना, दुर्लभ है संतोष।। देश-काल…

फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा/ रेखराम साहू

— फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा— फ़ैसले से फ़ासला इंसाफ़ का होने लगा।यह तमाशा देखकर फ़रियाद है रोने लगा।। पाप दामन में बहुत हैं,पर उसे परवाह कब?गंग वह उल्टी बहाकर दाग़ है धोने लगा।। इस क़दर उसकी हवस…

Hindi Poem ( KAVITA BAHAR)

वह नूर पहचाना नहीं/ रेखराम साहू

वह नूर पहचाना नहीं/ रेखराम साहू क्या ख़ुदा की बात,अपने आप को जाना नहींं।साँच है महदूद,मेरी सोच तक माना नहीं ।। ज़िंदगी हँसकर,रुलाकर मौत यह समझा गईं।दुश्मनी है ना किसी से और याराना नहीं।। यह हवस की राह राहत से…

shri Krishna

श्रीकृष्ण पर कविता – रेखराम साहू

श्रीकृष्ण पर कविता – रेखराम साहू महाव्याधि है मानवता पर, धरा-धेनु गुहराते हैं।आरत भारत के जन-गण,हे कान्हा! टेरते लगाते हैं।। चित्त भ्रमित संकीर्ण हुआ है,हृदय हताहत जीर्ण हुआ है।धर्मभूमि च्युतधर्म-कर्म क्यों,अघ अधर्म अवतीर्ण हुआ है ।।संस्कृति के शुभ सुमन सुगंधित…

नव वर्ष पर कविता

नव वर्ष आ गया नववर्ष,क्या संदेह,क्या संभावना है?शेष कुछ सुकुमार सपने,और भूखी भावना है। हैं विगत के घाव कुछ,जो और गहरे हो रहे हैं,बात चिकनी और चुपड़ी,सभ्यता या यातना है! ओढ़कर बाजार को,घर घुट रहा है लुट रहा है,ग्लानि की…

save nature

विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता

आज पर्यावरण पर संकट आ खड़ा हुआ है . इसकी सुरक्षा के प्रति जन जागरण के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने 5 मई को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया है . कविता बहार भी इसकी गंभीरता को बखूबी समझता है . हमने कवियों के इस पर लिखी कविता को संग्रह किया है .