संस्कार पर कविता
संस्कार पर कविता अहो,युधिष्ठिर हार गया है,दयूत् क्रीड़ा में नारी को,दुःसाशन भी खींच रहा है,संस्कारों की हर साड़ी को। अपनी लाज बचाने जनता,सिंहासन से भीड़ जाओ तुम,भीख नही अधिकार मांगने,कली काल से लड़ जाओ तुम,विपरित काल घोर कलयुग है,ना याद करो गिरधारी को। अहो,युधिष्ठिर….सदियों को संस्कार सिखाकर,हम अब तक सीना ताने हैं।अपनाओ न पाश्चात्य सभ्यता,रिश्ते … Read more