रामधारी सिंह दिनकर / श्याम कुँवर भारती
पूर्णिका _ दिनकर जैसा । हिंदी है हिंद का हृदय कोई आज ये सोचता है क्या।हिंदी बांधती है राष्ट्र को एक सूत्र कोई मानता है क्या। कलम में खूब जान…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० श्याम कुँवर भारती के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
पूर्णिका _ दिनकर जैसा । हिंदी है हिंद का हृदय कोई आज ये सोचता है क्या।हिंदी बांधती है राष्ट्र को एक सूत्र कोई मानता है क्या। कलम में खूब जान…
पेड़ न काटो रखो ध्यान, धरती का है यही प्रधान। इससे है वसुधा की शान, इससे ही है जिवो में जान। इसी पर आधारित है पेड़ पर कविता poem on trees पेड़ पर…
दीप से दीप जले दिल से दिल मिले ,दीप से दीप जले |दिवाली मे हर मुख मुस्कान खिले |हर घर हो रोशनी से जगमग |घर गरीबो हो खुशिया दीप से…
प्लास्टिक मिटा देंगे हम दुनिया से प्लास्टिक मिटा देंगे हम. हम तुम सनम चलो खाले कसम |दुनिया से प्लास्टिक मिटा देंगे हम | ये गलता नही मिट्टी मे मिलता नही…
जून दुपहरिया में जून दुपहरिया मे देहिया जरेला |सूखल होठवा पियासिया लगेला | सुना मोरे सइया |कईसे बीतिहे गरमिया के दिनवा हमार |सुना मोरे सइया | पेड़वा का छांव नाही ,चले…
मेरे वो कश्ती डुबाने चले है रूठे महबूब को हम मनाने चले है |अपनी मजबूरीया उनकों सुनाने चले है | जो कहते थे तुम ही तुम हो जिंदगी मेरी |बीच…