तांका की महक

तांका की महक बेटी का ब्याहहुआ धूमधाम सेहुई विदाईबहू जला दी गईफिर खबर आई 2लड़का एकमां बाप का सहाराबेरोजगारअशिक्षित नाकाराबना आंखों का तारा3एक लड़कीसुशील सुशिक्षितविनयशीलमायका ससुरालहो एक जैसा हाल4समय परहुआ नहीं जो काममान लीजिएगया कौड़ी के दामवो दशहरी आम5सोच बदलोसमय बदलताजीवन भरधोखा नहीं चलताकाम नहीं टलता पद्म मुख पंडा , वरिष्ठ नागरिक कवि लेखक एवम … Read more

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बिछोह पर कविता- मनीभाई

बिछोह पर कविता – मनीभाई” रात भर मैंसावन की झड़ी मेंसुनता रहाटपटप की आवाजपानी की बूंदें।बस खयाल रहाअंतिम विदापिया के बिछोह मेंगिरते अश्रुगीले नैनों को मूंदेपवन झोकेंसरसराहट सीलगती मुझेजैसे हो सिसकियां।झरोखे तलेसारी घड़ियां चलें।जल फुहारेंकंपकपी बिखेरेभय दिखातीअशुभ की कामनामैं व मेरी कल्पना ।। ✍मनीभाई”नवरत्न”७/८/२०१८ मंगल

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अल्हड़ बचपन -मनीभाई नवरत्न (तांका विधा)

बचपन को आधार मानकर लिखी गई मनीभाई नवरत्न की तांका आप के समक्ष प्रस्तुत

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ताँका कैसे लिखें

ताँका जापानी काव्य की कई सौ साल पुरानी काव्य विधा है। इस विधा को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी के दौरान काफी प्रसिद्धि मिली। उस समय इसके विषय धार्मिक या दरबारी हुआ करते थे। हाइकु का उद्भव इसी से हुआ।

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