बिछोह पर कविता- मनीभाई

बिछोह पर कविता – मनीभाई”

रात भर मैं
सावन की झड़ी में
सुनता रहा
टपटप की आवाज
पानी की बूंदें।
बस खयाल रहा
अंतिम विदा
पिया के बिछोह में
गिरते अश्रु
गीले नैनों को मूंदे
पवन झोकें
सरसराहट सी
लगती मुझे
जैसे हो सिसकियां।
झरोखे तले
सारी घड़ियां चलें।
जल फुहारें
कंपकपी बिखेरे
भय दिखाती
अशुभ की कामना
मैं व मेरी कल्पना ।।

✍मनीभाई”नवरत्न”
७/८/२०१८ मंगल

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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