अल्हड़ बचपन -मनीभाई नवरत्न (तांका विधा)

 

अल्हड़ बचपन

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वो फटी पेंट
नाक में लगी सर्द
आते हैं याद
टूटे कुर्ते बटन
अल्हड़ बचपन।।
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वो बदमाशी
बेवजह झगड़ा
आते हैं याद
कट्टी का प्रहसन
अल्हड़ बचपन ।
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जल्दी से खाना
देर तक घूमना
आते हैं याद
खेल में अनबन।
अल्हड़ बचपन ।
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खड़िया चाक
कलम की दवात
आते हैं याद
वो जनगणमन।
अल्हड़ बचपन ।

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दोस्तों की टोली

वो तुतलाती बोली

आते हैं याद
पहाड़ा का रटन
अल्हड़ बचपन।

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बेर का पेड़

अड्डा तालाब मेड़
आते हैं याद
गांव में मधुवन
अल्हड़ बचपन।

🖋मनीभाई नवरत्न, छत्तीसगढ़

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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