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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0वर्षा जैन प्रखर के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

रिश्ते पर कविता

रिश्ते पर कविता दर्द कागज़ पर बिखरता चला गयारिश्तों की तपिश से झुलसता चला गयाअपनों और बेगानों में उलझता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता चला गया कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थेसामने फूल और पीछे खंजर…

विधवा पर कविता

विधवा पर कविता सफेद साड़ी में लिपटी विधवाआँसुओं के चादर में सिमटी विधवामनहूस कैसे हो सकती है भला अपने बच्चों को वह विधवारोज सबेरे जगाती हैउज्जवल भविष्य कीf करे कामनाप्रतिपल मेहनत करती हैसर्वप्रथम मुख देखे बच्चेसफलता की सीढ़ी चढ़ते हैंसमझ…

हमसफर पर कविता

हमसफर पर कविता सात फेरों से बंधे रिश्ते ही*हम सफर*नहीं होतेकई बार *हम* होते हुए भी*सफर* तय नहीं होते कई बार दूर रहकर भीदिल से दिल की डोर जुड़ जाती हैहर पल अपने पन काअहसास दे जाती हैकोई रूह के…

दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया दर्द कागज़ पर बिखरता चला गयारिश्तों की तपिश से झुलसता चला गयाअपनों और बेगानों में उलझता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता चला गया कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थेसामने फूल…

वर्षा जैन “प्रखर- एक नया ख्वाब सजायें

एक नया ख्वाब सजायें सपने कभी सुनहले कभी धुंधले सेआँखों के रुपहले पर्दे पर चमकते सेबुन कर उम्मीदों के ताने बानेहम सजाते जाते हैं सपने सुहाने कनकनी होती है तासीर इनकीमुक्कमल नहीं होती हर तस्वीर जिनकीसपनों को नही मिल पाता…

कवयित्री वर्षा जैन “प्रखर” प्रदूषण पर आधारित कविता

प्रदूषण पर आधारित कविता यत्र प्रदूषण तत्र प्रदूषण सर्वत्र प्रदूषण फैला हैखानपान भी दूषित हैवातावरण प्रदूषित है जनसंख्या विस्फोट भी एक समस्या भारी हैजिसके कारण भी होतीप्रदूषण की भरमारी है जल, वायु, आकाश प्रदूषितनभ, धरती, पाताल प्रदूषितमिल कर जिम्मेदारी लेंइस समस्या…

कवयित्री वर्षा जैन “प्रखर” आस का दीपक जलाये रखने की शिक्षा

आस का दीपक जलाये रखने की शिक्षा दीपावली की पावन बेलामहकी जूही, खिल गई बेलाधनवंतरि की रहे छायानिरोगी रहे हमारी कायारूप चतुर्दशी में निखरे ऐसेतन हो सुंदर मन भी सुधरे महालक्ष्मी की कृपा परस्परहम सब पर हरदम ही बरसेमाँ लक्ष्मी…

प्रकाश पर कविता-वर्षा जैन “प्रखर”

प्रकाश पर कविता मन के अंध तिमिर में क्याप्रकाश को उद्दीपन की आवश्यकता है? नहीं!! क्योंकि आत्म ज्योति काप्रकाश ही सारे अंधकार को हर लेगाआवश्यकता है, तो बस अंधकार को जन्म देने वाले कारक को हटाने कीउस मानसिक विकृत कालेपन को हटाने कीजो अंधकार…

विश्वास की परिभाषा – वर्षा जैन “प्रखर”

विश्वास की परिभाषा विश्वास एक पिता का कन्यादान करे पिता, दे हाथों में हाथयह विश्वास रहे सदा,सुखी मेरी संतान। योग्य वर सुंदर घर द्वार, महके घर संसारबना रहे विश्वास सदा, जग वालों लो जान। विश्वास एक बच्चे का पिता की बाहों…

हाँ ये मेरा आँचल-वर्षा जैन “प्रखर

हाँ ये मेरा आँचल आँचल, हाँ ये मेरा आँचलजब ये घूंघट बन जाता सिर परआदर और सम्मान बड़ों काघर की मर्यादा बन जाता है जब साजन खींचें आँचल मेराप्यार, मनुहार और रिश्तों मेंयही सरलता लाता हैप्यार से जब शर्माती हूँ…