विश्व हिंदी दिवस पर कविता
“यह हिंदी मन के हर भाव की भाषा है”
स्नेह भरे हर मन से मन के यह लगाव की भाषा है।
जो रिश्तों को अमृत देता है उस आव की भाषा है।।
जब अधरों को छू जाती है, हृदय को जीत लेती है,
यह हिंदी तो मन में उमड़ते हर भाव की भाषा है।।
प्रेम-भाव से बने संबोधन बढ़ाते इस भाषा का कद,
कहीं और न मिल पायेगा’चरण-वंदना’जैसा शब्द,
हर मानव के लिये ये अच्छे सदभाव की भाषा है।
यह हिंदी तो मन में उमड़ते हर भाव की भाषा है।।
हर इक मन की प्रतिक्रिया का सार छिपा है इसमें,
छोटों के लिये स्नेह बड़ों का सत्कार छिपा है इसमें,
हर रिश्ते के प्रति हमारे अच्छे स्वभाव की भाषा है।
यह हिंदी तो मन में उमड़ते, हर भाव की भाषा है।।
लिखे हैं इसमें ग्रंथ कई जो सनातन की धरोहर है,
वेदों के हर एक श्लोक में ज्ञान का एक सरोवर है,
भारतीय संस्कृति की तरफ ये झुकाव की भाषा है।
यह हिंदी तो मन में उमड़ते हर भाव की भाषा है।।
यहाँ-वहाँ बिखरे शब्दों को भी हिंदी ने अपनाया है,
कई भाषाओं के शब्दकोश को स्वयं में समाया है,
बदलते हुए परिवेश में ये हर बदलाव की भाषा है।
यह हिंदी तो मन में उमड़ते हर भाव की भाषा है।।
-राकेश राज़ भाटिया
थुरल-काँगड़ा हिमाचल प्रदेश
संपर्क- 9805145231, 7018848363

Kavita Bahar Publication
हिंदी कविता संग्रह

Kavita Bahar Publication
हिंदी कविता संग्रह