यादें तो यादें है -विनोद सिल्ला
आ जाती हैं यादें
बे रोक-टोक
नहीं है इन पर
किसी का नियन्त्रण
नहीं होने देती
आने का आभास
आ जाती हैं
बिना किसी आहट के
दे जाती हैं
कभी गम का
तो कभी खुशी का
उपहार
जब भी
आती हैं यादें
स्मृतियों के
रंगमंच पर
चल पड़ता है
चलचित्र-सा
लौट आते हैं
पुराने दिन
पुराना समय
यादें तो यादें हैं
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