विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल


आओ विश्व कविता दिवस मनाएँ/मंजूषा दुग्गल

मन के कोमल भावों को
कोरे काग़ज़ पर सजाएँ
प्रेम, इंतज़ार,ग़म के पलों को
चला लेखनी लफ़्ज़ों में व्यक्त कर जाएँ
नमन करें सभी काव्य साधकों को
श्रद्धा में उनकी मस्तक झुकाएँ
महादेवी सी सहनशीलता ले आएँ
निराला के प्रकृति प्रेम में खो जाएँ
दिनकर की राष्ट्र भक्ति से ओजपूर्ण हो
जयशंकर की स्पष्टवादिता अपनाएँ
राहे कदम पर इनके पग धरें हम
स्नेह , प्रेम, वात्सल्य, जोश से भर जाएँ
मस्ती के आलम से वंचित हैं जो जन
बेरंग जीवन को काव्य से रंग जाएँ
शिक्षा, ज्ञान , संस्कृति से सबको अवगत कराएँ
आओ विश्व कविता दिवस हम मनाएँ।
मंजूषा दुग्गल
करनाल (हरियाणा)

सुशी सक्सेना

यह काव्य संकलन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवतरित लेखिका सुशी सक्सेना के सहयोग से हो पाई है । अभी आप इंदौर मध्यप्रदेश में हैं । अभी आप अवैतनिक संपादक और कवयित्री के रूप में kavitabahar.com में अपना सेवा दे रही है। आपकी लिखी शायरियां और कविताएं बहुत सी मैगजीन और न्यूज पेपर में प्रकाशित होती रहती हैं। मेरे सनम, जिंदगी की परिभाषा, नशा कलम का, मेरे साहिब, चाहतों की हवा आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।