अब तो भर्ती
अब तो भर्ती खोलिए, बहुत हुआ सरकार।
पढ़-लिखकर हैं घूमते, युवा सभी बेकार।।
नयी-नयी नित नीतियां, सत्ता ने दी थोप।
रोजगार की खोज में, चले युवा यूरोप।।
जितना जो भी है पढ़ा, दे दो वैसा काम।
वित पोषण हो देश का, सुखी रहे आवाम।।
पढ़-लिखकर भी बन रहे, मजबूरन मजदूर।
ठोकर दर-दर खा रहे, पीड़ा है भरपूर।।
छाला छाती पर हुआ, बढ़ती जाए पीर।
उपाधियाँ ले घूमते, बहता नैनन नीर।।
जूते तक हैं घिस गए, खोज सके नहि काम।
चाव गए सब भाड़ में, गया चैन आराम।।
सिल्ला भी विनती करे, दे दो सबको काम।
हँसी-खुशी से बसर हो, सुखमय सबकी शाम।।
–विनोद सिल्ला