कदम-कदम पर कविता

कदम-कदम पर कविता यहां हैप्रतिस्पर्धाइंसानों मेंएक-दूसरे से।आगे निकलने कीचाहे किसी केसिर पर या गले पररखना पड़े पैर,कोई परहेज़-गुरेज नहीं ।किसी को कुचलने मेंनहीं चाहता कोईसबको साथ लेकरआगे बढ़ना।होती है टांग-खिंचाईरोका जाता हैै।आगे बढ़ने सेडाले जाते हैं अवरोध।लगाया जाता है,एड़ी-चोटी का जोर।एक-दूसरे के खिलाफकदम-कदम पर।।

विरह पर कविता

विरह पर कविता प्रेम में पागल चाँद से चकोर प्यार करे ।उम्र भर देखे शशि को उसका हीं दीदार करे । हिज्र एक पल का भी सहा जाये ना उनसे ।आंसुओं के मोती से इश्क का इजहार करे। हर घड़ी हर पल आँखों में चंदा की चंद्रकला ।चाँद को मन में बसाकर बेशुमार प्यार करे।। … Read more

बहरूपिया पर कविता

बहरूपिया पर कविता ये क्या ! अचानक इतने सारेअब गाँव- गाँव पधारे ,लगता है सफेद पंखधारीहंस है सारे !सावधान रहना रे प्यारे !भेष बदलने वाले है सारे !! पहले पता नहीं थाइसमें क्या – क्या गुण है,ये हमारे शुभ चिंतक हैया अब मजबूर है !बड़े सहज लग रहे हैंअब सारे के सारे !सावधान रहना रे … Read more

हंसवाहिनी माँ पर कविता

हंसवाहिनी माँ पर कविता हंसवाहिनी मात शारदेहमको राह दिखा देना।वीणापाणि पद्मासना माँतम अज्ञान हटा देना।।???विद्यादायिनी तारिणी माँकरु प्रार्थना मैं तेरी।पुस्तकधारिणी माँ भारतीहरो अज्ञानता मेरी।।???हम सब अज्ञानी है माताहम पर तुम उपकार करो।तुम दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटाकरशुचि ज्ञान का दान करो।।???हे धवलवस्त्रधारिणी मातहम भक्ति करें तुम्हारी।दिव्यालंकारों से भूषितक्षमा करो भूल हमारी।।???शिवा अम्बा वागीश्वरी माँहम सब मानव अज्ञानी।रूपसौभाग्यदायिनी … Read more

रोटी पर कविता

रोटी पर कविता सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी -विनोद सिल्ला