पुरूष सत्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
पुरूष सत्ता पर कविता लोग कहते रहे हैंमहिलाओं का मनजाना नहीं जा सकताजब एक ही ईश्वर ने बनायामहिला पुरुष दोनों कोफिर महिला का मनइतना अज्ञेय इतना दुरूह क्यों.. ? कहीं पुरुषों ने जान बूझकरअपनी सुविधा के लिएतो नहीं गढ़ लिए हैंये छद्म प्रतिमान ! क्या सचमुच पुरुषों ने कभीसमझना चाहा है स्त्रियों का मन ..? … Read more