पुरूष सत्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

पुरूष सत्ता पर कविता लोग कहते रहे हैंमहिलाओं का मनजाना नहीं जा सकताजब एक ही ईश्वर ने बनायामहिला पुरुष दोनों कोफिर महिला का मनइतना अज्ञेय इतना दुरूह क्यों.. ? कहीं पुरुषों ने जान बूझकरअपनी सुविधा के लिएतो नहीं गढ़ लिए हैंये छद्म प्रतिमान ! क्या सचमुच पुरुषों ने कभीसमझना चाहा है स्त्रियों का मन ..? … Read more

कोरोना पर कविता “खट्टी-मीटी “

कोरोना पर कविता छीन लिया तूनें रोजी रोटी , सुख-चैन भी छीन लिया ! छीन लिया आँखों की नींद ,भोजन-भजन भी छीन लिया !! बम से भी खतरनाक है तू , तोप तलवार में ऐसा क्षमता नहीं ! कौनसी शक्ति तुझमें है रे ,तेरा रफ्तार  क्यों थमता नहीं !! बेबस हुआ डाक्टर इंनजिनियर, तंत्र- यंत्र … Read more

प्रेमचन्द साव प्रेम पर कविता

प्रेमचन्द साव प्रेम पर कविता (1)हिमालय है मुकुट जैसा,चरण में हिन्द महासागर।कहीं पर राम जन्मा है,कहीं राधा नटवर नागर।है अपना देश मुनियों का,जहाँ पर धर्म पलता हैं।ये भारत वर्ष हैं अपना,जहाँ है प्रेम का गागर।                (2)जुबां पर प्रेम की बोली,हृदय में धर्म को धारो।कहीं मनभाव में जीना,कहीं मनभाव को मारो।मगर माँ भारती को,जो दिखाए … Read more

धरा पर कविता (दोहा)

धरा पर कविता आज धरा में प्रेम ही, मानवता का सार।। जिनके मन में प्रेम हो, करता नित उपकार।।१।। प्रेम मिले तो दुष्ट भी, बने धरा में संत।। इसकी महिमा क्या कहूंँ, पावन अतुल अनंत।।२।। *अपनी जननी हैं धरा,* प्रेम करे बरसात।। सब कुछ सहकर दें हमें, सुख की सब सौगात।।३।। तरु तरुवर भी प्रेम … Read more

13 मई पर कविता

13 मई पर कविता जीवन के शुभ दिवसों का सबेरा है।मिलती रहे खुशियों का पल बसेरा है।खास जीवन का अहसास कर लें आज।तारीखों में विशेष मैं तेरा(मई 13) है।1।करूँ निवेदन सबको,विद्या का वरदान मिले।हर वक्त काम आए,शिक्षा व सम्मान मिले।जग को देखो समरूप,तुमको समरूपता का ज्ञान मिले।मिले न धन दौलत,जग में ऊँचा तुम्हारा नाम मिले।2।कर्मों … Read more