माँ शारदे पर कविता
सृजनता का आधार दे।
मुझको ऐसा ज्ञान दे ।
अंधकार को दूर मिटा के।
ज्ञान का प्रकाश दे ।
नमन् करूँ मै माँ शारदे को ।
मुझको नित ही ज्ञान मिले ।
ज्ञान,विद्या,संगीत, कला ।
अधिष्ठात्री देवी का वर मिले।
वीणा,पुस्तक,माला धारिणी ।
नित्य मैं करुँ चरण वंदना ।
बर्ह्मलोक विराजे,हंसवाहिनी श्वेतपद्मासना ।
नित्य करूँ मैं नमन तुमको।
विद्या,बुद्धि,वक प्रदात्री।
मानव के सदैव हितकारिणी।
नमन करूँ मैं,माँ शारदे को।
नमन् करुँ मै माँ शारदे को।
मुझको नित ही ज्ञान मिले ।
हंसवाहिनी,पुस्तकधारिणी।
जड़ता को दूर कर दे ।
सृजनता का आधार दे ।
मुझको ऐसा ज्ञान दे।
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रचनाकार-प्रेमचंद साव
बसना,जिला-महासमुंद
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