CLICK & SUPPORT

शिक्षक पर कविता

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।

डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

शिक्षक पर कविता

अंधकार को दूर कराकर,
उजियाला फैलाता हूँ।
बच्चों में विश्वास जगाकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

नामुमकिन को मुमकिन कर,
शिक्षा का अलख जगाता हूँ।
बच्चों को राह दिखाकर ,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

अज्ञानी को ज्ञानी बनाकर,
शिक्षा का हक दिलाता हूँ।
समाज को शिक्षित कराकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

असभ्य को सभ्य बनाकर,
जीने का ढंग बताता हूँ।
शिक्षा का महत्व बताकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

अंधविश्वास दूर भगाकर,
शिक्षा की चिंगारी जलाता हूँ।
राष्ट्र निर्माण कराकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना (छत्तीसगढ़)
मो. 8120587822

CLICK & SUPPORT

You might also like