आक्रोश पर निबंध – मनीभाई नवरत्न

“कभी रोष है ,तो कभी जोश है।

मन में उफनता , वो ‘आक्रोश’ है।

मदहोश यह, तो कहीं निर्दोष है।

परदुख से उत्पन्न ‘आक्रोश’ है।”

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कारगिल की वीर गाथा–डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

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कारगिल विजय दिवस के पावन अवसर पर

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हिन्दी कविता: वक्ता पर कविता– नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

वक्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र हे मेरे प्यारे वक्तावाक कला में प्रवीणबड़बोला महाराजबातूनी सरदारकृपा करके हमें भी बताओकि तुम इतना धारा प्रवाहकैसे बोल लेते हो..?बिना देखे,बिना रुकेघंटों बोलने की कलाआख़िर तुमने कैसे सीखी है..?दर्शकों कोगुदगुदाने वाली कविताएँजोश भरने वाली शायरियांऔर नैतिक उपदेश वालेसंस्कृत के इतने सारे श्लोकतुमने भला कैसे याद किए हैं..?मुझे नहीं लगताकि … Read more

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बेटी पर घनाक्षरी व कुण्डलियाँ -लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’

बेटी पर घनाक्षरी सुख औ समृद्धि कारी,होती फिर भी बेचारी,क्यों ना जग को ये प्यारी,बेटी अभिमान है।माता का दुलार बेटी,पिता का है प्यार बेटी,खुशी का संसार बेटी,सबका सम्मान है।सूना घर महकाती,चिड़िया सी च-चहाती,“कांत” मन बहलाती,बेटी स्वभिमान है।प्यारा उपहार कोई,बेटी जैसा नही कोई,रिश्ते सब निभाये वोही,बेटी पहचान है ” कुण्डलियाँ “ बेटी स्वाभिमान है, बेटी ही … Read more

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हिन्दी कविता: रायपुर सेंट्रल जेल में-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

रायपुर सेंट्रल जेल में-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र रायपुर में पढ़ता था मैंपंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयथा दर्शनशास्त्र का विद्यार्थीजन्मभूमि सा प्यारा था आज़ाद छात्रावास गाँव वालों की नज़रों मेंथा बड़ा पढन्तामेरे बारे में कहते थे वे–“रइपुर में पढ़ता है पटाइल का नाती।” मेरे गाँव के पास का एक गाँवजहाँ रहती थी मेरी फुफेरी दीदीफुफेरा जीजा था जो … Read more

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हिन्दी कविता: कारगिल विजय दिवस की गाथा

कारगिल विजय दिवस की गाथा;-
*सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”*
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.) 493558

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सावन पर कुंडलियाँ छंद -डॉ एन के सेठी

सावन विषय पर आधारित कुंडलिया
में रचित डॉ एन के सेठी की रचना

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हिन्दी कविता : जार्ज फ्लॉयड पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जार्ज फ्लॉयड पर कविता- जार्ज फ्लॉयड तुम आदमी थेतुम आदमी ही रहेपर तुम्हें पता नहींकि शैतानी नज़रों मेंआदमी होना कुबूल नहीं होताआख़िर तुम मारे गए काश तुम जान गए होतेकि तुम्हारा जिंदा रहने के लिएतुम्हारा आदमी होना ज़रूरी नहीं थाजितना जरूरी थातुम्हारी चमड़ी का गोरा रंग जार्ज फ्लॉयडकाश की तुम्हेंगिरगिट की तरहअपनी चमड़ी का रंग … Read more

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