आक्रोश पर निबंध – मनीभाई नवरत्न
"कभी रोष है ,तो कभी जोश है।
मन में उफनता , वो 'आक्रोश' है।
मदहोश यह, तो कहीं निर्दोष है।
परदुख से उत्पन्न 'आक्रोश' है।"
"कभी रोष है ,तो कभी जोश है।
मन में उफनता , वो 'आक्रोश' है।
मदहोश यह, तो कहीं निर्दोष है।
परदुख से उत्पन्न 'आक्रोश' है।"
कोहिनूर की कलम से
यह दोहा एनके सेठी द्वारा बादल को आधार मान कर लिखी गई हैं
कारगिल विजय दिवस के पावन अवसर पर
वक्ता पर कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र हे मेरे प्यारे वक्तावाक कला में प्रवीणबड़बोला महाराजबातूनी सरदारकृपा करके हमें भी बताओकि तुम इतना धारा प्रवाहकैसे बोल लेते हो..?बिना देखे,बिना रुकेघंटों बोलने की कलाआख़िर तुमने कैसे सीखी है..?दर्शकों कोगुदगुदाने वाली कविताएँजोश भरने वाली…
बेटी पर कविता / लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’ सुख औ समृद्धि कारी,होती फिर भी बेचारी,क्यों ना जग को ये प्यारी,बेटी अभिमान है।माता का दुलार बेटी,पिता का है प्यार बेटी,खुशी का संसार बेटी,सबका सम्मान है।सूना घर महकाती,चिड़िया सी च-चहाती,“कांत” मन बहलाती,बेटी स्वभिमान है।प्यारा…
रायपुर सेंट्रल जेल में-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र रायपुर में पढ़ता था मैंपंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयथा दर्शनशास्त्र का विद्यार्थीजन्मभूमि सा प्यारा था आज़ाद छात्रावास गाँव वालों की नज़रों मेंथा बड़ा पढन्तामेरे बारे में कहते थे वे–“रइपुर में पढ़ता है पटाइल का नाती।”…
कारगिल विजय दिवस की गाथा;-
*सुन्दर लाल डडसेना"मधुर"*
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.) 493558
सावन विषय पर आधारित कुंडलिया
में रचित डॉ एन के सेठी की रचना
जार्ज फ्लॉयड पर कविता- जार्ज फ्लॉयड तुम आदमी थेतुम आदमी ही रहेपर तुम्हें पता नहींकि शैतानी नज़रों मेंआदमी होना कुबूल नहीं होताआख़िर तुम मारे गए काश तुम जान गए होतेकि तुम्हारा जिंदा रहने के लिएतुम्हारा आदमी होना ज़रूरी नहीं थाजितना…