सूरज देता रौशनी हर कर तम का भार
सूरज देता रौशनी हर कर तम का भार सूरज देता रौशनी, हर कर तम का भार।लेकर के आगोश में, करता दिन विस्तार।। नभ में लाली छा गई, लेकर नव मुस्कान।जीव-जंतु जगने लगे, जगने लगा किसान।। उदर पूर्ति करने चले, छोड़े सभी मकान।दिन भर श्रम को पूजते, आया नहीं थकान।। समय साथ होता तभी, राही हो … Read more