कविता की पौष्टिकता –
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान…
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान…
हम भी दीवाने और तुम भी दीवाने इश्क में हो गये हम दीवानेइश्क में हो गये हम वीरानेइश्क में दौलत क्या है ?इसमें लुट गये सारे खजानेइश्क में हो गये हम दीवानेहम भी दीवाने और तुम भी दीवाने।। शीरीं भी…
जिंदगी में बहुत काम आती है यह छत नीचे होता हूँ तो साया बनके सुलाती हैयह छत।ऊपर होता हूँ तो खुले आसमां की सैरकराती है यह छत।नीचे होता हूँ तो छाँव बन जाती है यह छतऊपर चढ़ जाऊँ तो जमीं…
नवीन कल्पना करो तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो। तुम कल्पना करो। अब घिस गईं समाज की तमाम नीतियाँ,अब घिस गईं मनुष्य की अतीत रीतियाँ,हैं दे रहीं चुनौतियाँ तुम्हें कुरीतियाँ,निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए-तुम कल्पना करो, नवीन…
"भाभभगा" जब वर्ण सजे।
'सारवती' तब छंद लजे।।
अवतार नाथ अब धारो।
तुम भूमि-भार सब हारो।।
हम विकास के पथ-अनुगामी।
सघन राष्ट्र के नित हित-कामी।।
श्री रामनवमी के अवसर पर यह रचना मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्रति जन जन की आस्था को समर्पित है।
रचना विधा - कविता
शीर्षक - जननायक राम
रचयिता - श्रीमती ज्योत्स्ना मीणा
इस कविता में वर्तमान सामाजिक परिदृश्य को समाहित किया गया है |
आज जिंदगी बेमानी हो गई है - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस कविता में जीवन के हर एक क्षण को नव वर्ष की तरह उत्सव के रूप में मनाने पर जोर दिया गया है |
हर एक दिन को नए वर्ष की - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"