मुंशी प्रेमचंद जी साहित्यकार थे ऐसे
महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी के प्रति 141 वीं जयंती (31 जुलाई )पर विशेष कविता
महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी के प्रति 141 वीं जयंती (31 जुलाई )पर विशेष कविता
कलम के सिपाही -मुंशी प्रेमचंद जी मेरे मूर्धन्य मुंशी प्रेमचंद जी थे बड़े ” कलम के सिपाही “अब…….”भूतो न भविष्यति”हे ! मेरे जन जन के हमराही ! उपन्यास सम्राट व कथाकारजनमानस के ये साहित्यकार,गरीब-गुरबों की पीड़ा लिखतेथे अन्नदाता के तुम पैरोकार ! समस्याएँ,,,,संवेदनाओं काकरते थे मार्मिक शब्दांकन,‘झंकृत और चमत्कृत’ रचनाहोते भावविभोर चित्रांकन ! ये रूढ़िवादी … Read more
मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे प्रेमचंद साहित्य में,एक बड़ी पहचान।कथाकार के नाम से,जानत सकल जहान।। उपन्यास लिखते गए,कफ़न और गोदान।प्रेमचंद होते गए,लेख क्षेत्र सुल्तान।। रही गरीबी बचपना,करते श्री संघर्ष।मिली एक दिन नौकरी,जीवन में उत्कर्ष।। गाँधी के सानिध्य में,प्रेम किए सहयोग।फौरन छोड़ी नौकरी,समय लेख उपयोग।। ✒️ *परमेश्वर अंचल*
उपवास का महत्त्व
“उफ!ये सावन जब भी आता है” वो बचपन की मस्ती,वो तोतली बोली,वो बारिश का पानी,और बच्चों की टोली,वो पहिया चलाना और नाव बनाना,माँ का बुलाना और हमारा न आना,वो अनछुए पल याद दिलाता है “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।1।। लड़कपन में लड़ना और फिर मचलनादोस्तों का मनाना हमें फिर मिलानामैदान के कीचड़ में गिरना-गिरानाऔर … Read more