राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह

Jai Sri Ram kavitabahar

राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह चैत शुक्ल नवमी को पावन अयोध्या में ,मध्य दिवस प्रगटाये रामचनद्र ज्ञानी।सुन्दर सुकोमल दशरथ नृपति -सुत ,भव्यसुख शान्ति सत्य सिन्धुछवि खानी।जिनके दर्शन हेतु तरसता सर्व देव ,बाल ब्रह्मचारी संत योगी यती ध्यानी।शुचि उत्संग बिच ले के “कवि बाबूराम “श्रीहरि राम को खेलावत कौशिल्या रानी। ललाटे तिलकभाल ग्रीवा … Read more

दहेज प्रथा अभिशाप है – बाबूराम सिंह

दहेज प्रथा अभिशाप है दानव क्रूर दहेज अहा ! महा बुरा है पाप ।जन्म-जीवन नर्क बने,मत लो यह अभिशाप।।पुत्रीयों के जीवन में ,लगा दिया है आग।खाक जगत में कर रहा,आपस का अनुराग।। जलती हैं नित बेटियाँ ,देखो आँखें खोल।तहस-नहस सब कर दिया,जीवन डांवाडोल।।पुत्री बिना सम्भव नहीं ,सृष्टि सरस श्रृंगार ।होकर सब कोइ एकजुट,इसपर करो विचार।। … Read more

हिन्दी का गुणगान – अकिल खान

हिन्दी का गुणगान संस्कृत भाषा से,अवतरित हुआ है हिन्दी,भारत की माथे की है ये अनमोल बिन्दी।‘राष्ट्रीय भाषा’का जिसे मिला है देश मे सम्मान,प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान। हिन्दी की है प्यारी-प्यारी,मिठी-मिठी बोली,दोस्ती-व्यवहार में,हिन्दी भाषा है हमजोली।विद्वान-ज्ञानीयों ने,जिसका किया है बखान,प्यारे देशवासियों,किजीए हिन्दी का गुणगान। हम हैं हिन्दवासी,हमें नित हिन्दी है प्यारा,हिन्दी को सभी-जन ने प्यार … Read more

सलिल हिंदी – डाॅ ओमकार साहू

सलिल हिंदी (सरसी छंद) *स्वर व्यंजन के मेल सुहाने, संधि सुमन के हार।**रस छंदों से सज धज आई, हिंदी कर श्रृंगार..* वर्णों का उच्चारण करतें, कसरत मुख की जान।मूर्धा जिह्वा कंठ अधर सह, दंतो से पहचान।ध्वनियों को आधार बनाकर, करते भेद सुजान।*भाव सहित संदर्भ समाहित, सहज शील संचार…**रस छंदों से सज धज आई, हिंदी कर … Read more

हिंदी का पासा – उपेन्द्र सक्सेना

पलट गया हिंदी का पासा गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट हिंदी बनी राजभाषा ही, लेकिन नहीं राष्ट्र की भाषाक्षेत्रवाद के चक्कर में ही, पूरी हो न सकी अभिलाषा। पूर्वोत्तर के साथ मिले जब, दक्षिण के भी लोग यहाँ परहिंदी का विरोध कर जैसे, जला रहे हों अपना ही घरहिंदी की सेवा में जिसको, देखा गया यहाँ पर … Read more