Month November 2023

जीवन की डगर

जीवन की डगर कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,जीवन की डगर पर साथ चले।लक्ष्य को पाना है एक दिन,निशदिन समय के साथ चलें।सुख दु:ख के हम सब साथी,अपनत्व प्यार बाँटते चलें।अटल विश्वास हमारा मन में,मंज़िल की ओर हम बढ़ चलें।हिम्मत,परिश्रम और…

सुख दुख पर कविता

सुख दुख पर कविता सुख का सागर भरे हिलोरे।जब मनवा दुख सहता भारी।सुख अरु दुख दोनों ही मिलकर।जीवन की पतवार सँभारी।दुखदायी सूरज की किरणें।झाड़न छाँव लगे तब प्यारी।भूख बढ़े अरु कलपै काया।रूखी सूखी पर बलिहारी।पातन सेज लगे सुखदायक।कर्म करे मानव…

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना माँ सरस्वती शारदेबुद्धि प्रदायिनी ज्ञानदायिनीपद्मासना श्वेत वस्त्रा माँअज्ञानता हर ज्ञान दे माँ हंसवाहिनी।तेरे चरणों की पावन रज कणललाट पर मेरे सुशोभित रहे माँविस्तार हो मेरे ज्ञान का असीमितकलम मेरी वरदहस्त रहे माँ।धूप दीप नैवेद्य शुभ अर्चन वंदनकष्ट पीर…

स्वीकारो प्रणाम माँ नर्मदे

स्वीकारो प्रणाम माँ नर्मदे प्रणाम  है  अहो  प्रणाम ,  जयति माँ नर्मदे ।पतित पावनी  अभिराम ,  जयति माँ नर्मदे ।।हे कलि कलुष निवारिणी , जयति माँ नर्मदे ।अखण्डित  तपश्चारिणी , जयति माँ नर्मदे ।।मेकल  सुता  सिद्धिप्रदा , तुमको  प्रणाम है…

हर पल उत्सव सा मनालें

हर पल उत्सव सा मनालें – केवरा यदु “मीरा “ जिंदगी चार दिन की  चलो गीत गालें ।हँस लें हम खुद औरों  को भी हँसालें ।चाहें तो जिन्दगी को हम इस तरह सजालें ।हर दिन दिवाली होली उत्सव मनालें ।…

सच में लिपटा झूठ

सच में लिपटा झूठ सच में लिपटा झूठ,सरासर बिकते देखा!कलुषित कर्म को, धवल सूट में सजते देखा!लीपापोती सब जग होती,कुलटा नार हाथ ले ज्योती!खसम मार वो निज हाथों से’सती सावित्री बनते देखा!सचमें लिपटा झूठ,सरासर  बिकते देखा!!…..(१)बाजारों का हाल बुरा है।हाट…

भावना और भगवान

भावना और भगवान .              यदि सच्ची हो भावना,मिल जाते भगवान।जग में सच्चे बहुत हैं,अच्छे दिल इंसान।।देश हमारे हैं बहुत, दाता अरु धन वान।संसकारों संग भरा,प्यारा  हिंदुस्तान।।मुझे गर्व है शान है,मेरा देश महान।,जल,थल संग वायु चले,आज हमारे यान।।जिसमें बैठे गगन को,…

राष्ट्रवाद पर कविता

राष्ट्रवाद पर कविता बाँध पाया कौन अब तक सिंधु के उद्गार को।अब न बैरी सह सकेगा सैन्य शक्ति प्रहार को।1तोड़ डालें सर्व बंधन जब करे गुस्ताखियाँ।झेल पायेगा पड़ोसी शूरता के ज्वार को।2कांपता अंतःकरण से यद्यपि बघारे शेखियाँ।छोड़ रण को भागने…

बसंत  की  बहार में

बसंत  की  बहार में बसंत दूत कोकिला, विनीत मिष्ठ बोलती।बखान रीत गीत से, बसंत गात  डोलती। बसंत  की  बहार में, उमा महेश साथ  में।बजाय कान्ह बाँसुरी,विशेष चाल हाथ में। दिनेश  छाँव  ढूँढते , सुरेश  स्वर्ग  वासते।सुरंग  पेड़  धारते, प्रसून  काम   …