भाई दूज पर कविताएँ

भाई दूज पर कविताएँ : रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है। कहा जाता है कि एक बार युधिष्ठिर ने सांसारिक संकटों से मुक्ति के लिये भगवान कृष्ण … Read more

चेतना आधारित कविता

चेतना आधारित कविता वह  चेतन  निर्द्वन्द  है अद्भुत  निर्विकार  हैसारे विकार  मनजनित कल्पित संस्कार है ।आत्म सत्ता है सर्वोपरि  बोधक है  सदगुरु ,भ्रम  भेद  भय भटकाता अतुल भवभार है ।जो है अजर जो है अमर सर्वदा त्रयकाल है ,इस जीव जगत का सर्वत्र मात्र एक दातार है।संयोग  वियोग दुख  सुख से है परे प्राणधन ,जग … Read more

छेरछेरा त्योहार पर कविता

छेरछेरा त्योहार पूस मास की पूर्णिमा, अन्न भरे घर द्वार।जश्न मनाता आ गया, छेरछेरा त्योहार।।अन्न दान का पर्व है, संस्कृति की पहचान।मालिक या मजदूर हो, इस दिन एक समान।। घर-घर जातें हैं सभी, गाते मंगल गान।मुट्ठी भर-भर लोग भी, करते हैं सब दान।।भेष बदल कैलाश-पति, गये उमा के द्वार।अन्नदान से फिर मिला, इक दूजे को … Read more

अन्धविश्वास पर कविता

अन्धविश्वास पर कविता तंत्र मंत्र के चक्कर की खबरे खूब आती हैअन्धविश्वास में अक्सर जानें ही जाती है। सुन लो घटना हुआ जो कोरबा रामकक्षार हैअंधभक्त पुत्र ने कर दिया खुद माँ पर वार हैभ्रम जाल में फंसकर अपनी माँ को गंवा लियालहू भी पीया उसने माँ का मांस भी खा लिया पड़ा रहा मति … Read more

कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को

कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को ऐ पाक़!तू क्यों तना है अपना घर जलाने को। कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को।। तुम्हारे तमाम ज़ुल्मों को सीनें से लगाते रहे। पर गुस्सा क्यों दिलाता है हथियार उठाने को।। पंछी की तरह तो तुझे हम आज़ाद कर दिये थे। फिर क्यों चाहता है … Read more