CLICK & SUPPORT

सरस्वती -वन्दना

सरस्वती -वन्दना

जनप्रिय माँ जनोपकारणी
जग जननी, जल जीवधारणी।
स्वर्णिम ,श्वेत, धवल साडी़ में
चंचल, चपल,चकोर चक्षुचारणी।


ज्ञानवान सारा जग करती माँ
अंधकार, अज्ञान सदैव हारणी
विद्या से करती,जग जगमग
गुह्यज्ञान,गेय,गीत,  गायनी।

सम्बंधित रचनाएँ


सर्व सुसज्जित श्रेष्ठ साधना सुन्दर
हर्षित, हंस-वाहिनी,वीणा वादिनी
कर कृपा,करूणा, कृपाल,कब कैसे,
पल में हीरक—रूप– प्रदायिनी।


मूर्त ममतामय,ममगात मालती,
जब भटके,तम में माँ तुम्ही संवारिणी,
कितने कठिन, कष्ट कलुषित झेले माँ,
मार्ग प्रकाशित करदे माँ,मोक्षदायिनी।


जनप्रिय माँ जनोपकारणी
जग जननी, जल जीवधारणी। ।

कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग (उत्तराखण्ड)

CLICK & SUPPORT

You might also like