संगम नगरी प्रयागराज

संगम नगरी प्रयागराज संक्रांति के पावन दिवस परचलो आज हम कुंभ नहालेंप्रयागराज के संगम तट परमाँ गंगे का भव्यदर्शन पा लें।।     भव्य दिख रही संगम नगरी     भाँति- भाँति के लोग हजार     शाही स्नान करने को पहले     देखो नागा की लगी कतार।।साधु संतकी भीड़ है उमड़ीनागा, जूना,जंघम, किम्बरडुबकी लगाकर इस संगम मेंजीवन बनाते हैं पुण्योज्वल।।     दादा, … Read more

किरीट सवैया पर कविता

किरीट सवैया पर कविता भारत भव्य विचार सदा शुभ, भारत सद् व्यवहार सदा शुभभारत मंगल कारक है नित, भारत ही हित कारक है शुभ।भारत दिव्य प्रकाश सदा शुभ, भारत कर्म प्रधान सदा शुभ।भारत भावन भूमि महा शुचि, भारत पावन धार सदा शुभ। पुष्पाशर्मा”कुसुम”

समर शेष है रुको नहीं

समर शेष है रुको नहीं समर शेष है रुको नहींअब करो जीत की तैयारीआने वाले भारत कीबाधाएँ होंगी खंडित सारी ,राजद्रोह की बात करे जोउसे मसल कर रख देनादेशभक्ति का हो मशाल जोउसे शीश पर धर लेना,रुको नहीं तुम झुको नहीं अब मानवता की है बारीसुस्त पड़े सब शीर्ष पहरुएजनमानस दण्डित सारी,कालचक्र जो दिखलाए तुमउसे … Read more

रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे

रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगेहर कहीं हम यहाँ गुनगुनाने लगेप्यार की अधखुली खिड़कियों की डगरएक दूजे में हम सामने लगे.इस जनम के ये बन्धन गहराने लगेदूर रहकर भी वो मुस्कुराने लगेग़म यहाँ कम मिलेगा हमारे सिवादर्द की छाँव भी अब सुहाने लगे.रिश्तों की कसौटी पे आने लगेवो हमें हम उन्हें … Read more

फिर बोलें भारत माँ की जय

mera bharat mahan

फिर बोलें भारत माँ की जय हिमाच्छादित उत्तुंग शिखरभारत माँ के प्रहरी हैं प्रखर।देखी जब माँ की क्लांत दशापूछा, माँ क्या है तेरी व्यथा ?क्यों हृदय तुम्हारा व्याकुल हैक्यों भरे नयन, कुछ बोलो तो ! क्या बोलूँ , मेरी आँखों सेये अश्रु कहाँ अब थमते हैं।ममता का समंदर सूख गयाजब देखी इनकी दानवता।क्या सपने देखे … Read more