मनीभाई की भावनाएं
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हर जगह चुनौतियाँ हैं, क्यूँ ना चुनौतियों से वास्ता करें।
ये तो गलत है कि खानाबदोश की तरह हम रास्ता करें।
विरोध करें ,कभी विरोध सहें; ये सांसारिक नियति है ।
मतभेद होने से रूठके चले जाना ,नहीं कवि प्रकृति है।
मनीभाई
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हर जगह चुनौतियाँ हैं, क्यूँ ना चुनौतियों से वास्ता करें।
ये तो गलत है कि खानाबदोश की तरह हम रास्ता करें।
विरोध करें ,कभी विरोध सहें; ये सांसारिक नियति है ।
मतभेद होने से रूठके चले जाना ,नहीं कवि प्रकृति है।
मनीभाई